अच्छी सेहत के लिए नित्य टहलें…
अच्छी सेहत के लिए नित्य टहलें…

उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन के लिये टहलना एक सरल, अच्छा और आरामदेह व्यायाम है। आज के भौतिकवादी युग में जब से चारों ओर किस्म-किस्म के स्वचालित वाहनों का चलन बढ़ता जा रहा है और लोगों का पैदल चलना कम होता जा रहा है, जब से मनुय ढेर सारी शारीरिक व मानसिक बीमारियों का शिकार होता जा रहा है, अतः यदि कोई मनुय अपनी सेहत बनाए रखना चाहता है तो उसे उचित रहन-सहन के साथ-नियमित रूप से प्रतिदिन टहलने पर भी ध्यान देना चाहिए। पूर्ण स्वस्थ रहने के लिये प्रतिदिन प्रातःकाल किसी पार्क, मैदान, उद्यान अथवा अन्य किसी स्वस्छ स्थान पर कम से कम एक घंटा नित्य टहलना चाहिये। पैदल चलना एक ऐसा व्यायाम है, जिसके लिए आयु वर्ग की कोई सीमा नहीं होती। हर व्यक्ति लाभ उठा सकता है। टहलने से शरीर की सभी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं जिससे शरीर में चुस्ती आती है।
पैदल चलने से सारे शरीर का बोझ हमारे पैर वहन करते हैं, इसलिए पूरे शरीर की, विशोकर पैरों की मांसपेशियों की कसरत हो जाती है, जिससे पैरों की बनावट सुडौल हो जाती है। पैदल चलने से विचार शक्ति में वृद्धि होती है क्योंकि इससे मस्तिक की कोशिकाओं को अधिक आक्सीजन मिलता है। फलतः व्यक्ति तनावरहित महसूस करता है तथा सजग तथा स्वस्थ बना रहता है। टहलना केवल एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं अपितु मन के अवसादों को दूर करने तथा प्रसन्नता का संचार करने का भी कारगर उपाय है। विशेषज्ञों का मत है कि पैंतीस वर्ष की उम्र के बाद शरीर की रक्तवाहिनियां सख्त होने लगती हैं जिससे इनमें से होकर रक्त को गंतव्य स्थान तक भेजने में हृदय को अधिक श्रम करना पड़ता है जो अधिक रक्तचाप में परिलक्षित होता है। अतः हृदय एवं रक्तचाप के रोगियों के लिये पैदल चलना एक उत्तम व्यायाम है क्योंकि इससे बिना किसी अधिक दबाव के फेफड़ों का व्यायाम होता है और रक्तवाहिनियों का लचीलापन सामान्य बना रहता है।
फलस्वरूप दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो जाता है। यही कारण है कि हृदय रोगियों को स्वस्थ बने रहने के लिये चिकित्सक पैदल चलने की सलाह देते हैं। टहलने अथवा पैदल चलने का अप्रत्यक्ष प्रभाव पाचन क्रिया पर भी पड़ता है फलतः पाचन क्रिया ठीक रहती है तथा कब्ज दूर होती है। मधुमेह के रोगियों के लिये भी टहलना फायदेमंद है। नियमित टहलने से शूगर का नियंत्रण और संतुलन बेहतर बना रहता है। सैर के लिये निकलते समय इस बात का ध्यान रखें कि तन पर उपयुक्त वस्त्र हों और ढीले वस्त्र जो मौसम के हिसाब से हों, वही बेहतर हैं।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट



