हमास जब तक हथियार छोड़ेगा नहीं, तब तक गाजा में शांति संभव नहीं है: अमेरिका
हमास जब तक हथियार छोड़ेगा नहीं, तब तक गाजा में शांति संभव नहीं है: अमेरिका

वाशिंगटन, 20 दिसंबर। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ शब्दों में कहा कि गाजा में स्थायी और टिकाऊ शांति तभी संभव है, जब हमास को भविष्य में इजरायल पर हमला करने की क्षमता से पूरी तरह वंचित कर दिया जाए। शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुबियो ने कहा कि शांति प्रयासों का केंद्र बिंदु हमास का निरस्त्रीकरण होना चाहिए।
रुबियो ने कहा, “आप ऐसी स्थिति में शांति की कल्पना नहीं कर सकते, जहां हमास भविष्य में इजरायल को धमकी दे सके। इसलिए निरस्त्रीकरण बेहद जरूरी है।” हालांकि उन्होंने बातचीत या संभावित समझौतों के विस्तृत ब्योरे देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि किसी भी समझौते की बुनियाद यही सिद्धांत होगा।
उन्होंने गाजा के पुनर्निर्माण को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया। रुबियो ने कहा कि जब तक सुरक्षा की ठोस गारंटी नहीं होगी, तब तक कोई भी देश या निवेशक गाजा में पैसा लगाने को तैयार नहीं होगा। अगर लोगों को लगे कि दो-तीन साल में फिर से युद्ध हो जाएगा, तो कोई भी वहां निवेश नहीं करेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में हमास फिर से रॉकेट दागता है, इजरायली नागरिकों की हत्या करता है, या 7 अक्टूबर जैसे किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम देता है, तो शांति की सारी कोशिशें नाकाम हो जाएंगी। उन्होंने दोहराया कि कोई भी फिर से युद्ध नहीं चाहता।
रुबियो ने यह भी कहा कि निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया के लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें हमास की सहमति के साथ-साथ इजरायल की सहमति भी आवश्यक होगी, तभी कोई व्यवस्था काम कर पाएगी।
गौरतलब है कि गाजा में मौजूदा युद्ध की शुरुआत हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद हुई थी, जिसमें करीब 1,200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने गाजा में व्यापक सैन्य अभियान चलाया। इस युद्ध में अब तक हजारों फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और गाजा में भारी तबाही हुई है।
अमेरिका इजरायल के समर्थन के साथ-साथ मानवीय सहायता और युद्ध के बाद की योजना पर भी जोर देता रहा है। वाशिंगटन का मानना है कि गाजा का भविष्य तभी सुरक्षित हो सकता है, जब वहां से सशस्त्र गुटों का नियंत्रण खत्म हो और एक प्रभावी शासन व्यवस्था स्थापित हो।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

