सेना में अब तीन ग्रेड के चरण में होगी रिक्रूटर्स की ट्रेनिंग, लखनऊ के रेजीमेंटल ट्रेनिंग सेंटर को आदेश जारी..
सेना में अब तीन ग्रेड के चरण में होगी रिक्रूटर्स की ट्रेनिंग, लखनऊ के रेजीमेंटल ट्रेनिंग सेंटर को आदेश जारी..

लखनऊ, 19 जून । अग्निपथ योजना के लिए सेना अपनी नौ महीने की पुरानी ट्रेनिंग में अग्निवीरों के व्यक्तित्व विकास के अनुसार बदलाव करने जा रही है। अब छह माह की जो ट्रेनिंग होगी, उसमें चार की जगह तीन ग्रेड के चरण होंगे। दिल्ली में नए ट्रेनिंग सिस्टम को लेकर तैयारी शुरू हो गई है, जिसके लिए लखनऊ सहित सभी जगह के रेजीमेंटल ट्रेनिंग सेंटरों को आदेश जारी किए गए हैं।
सेना में कोर और रेजीमेंट के ट्रेड के आधार पर रिक्रूटर्स को ट्रेनिंग दी जाती है। एक इन्फेंट्री के सिपाही की जनरल ड्यूटी (जीडी) की ट्रेनिंग नौ माह की होती है। सैनिक जीडी की 18 सप्ताह में फिजिकल ट्रेनिंग व ड्रिल पूरी होती है। ट्रेनिंग की शुरुआत रेजीमेंटल सेंटरों में चौथे ग्रेड से होती है, जिसमें रिक्रूटों को बेसिक ट्रेनिंग, ड्रिल मार्चिंग, सैल्यूटिंग जैसी ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद तीसरे ग्रेड की तीन महीने की एडवांस ट्रेनिंग होती है, जिसमें काउंटर इमरजेंसी आपरेशन और घात लगाने जैसी ट्रेनिंग दी जाती है।
जवानों को एके-47 जैसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग ग्रेड तीन का ही हिस्सा है, जबकि पहले ग्रेड की ट्रेनिंग यूनिटों में दी जाती है। इसी ट्रेनिंग में चयनित रिक्रूटों को इन्फेंट्री स्कूल भी भेजा जाता है। सेना की एक प्रशिक्षण यूनिट के अधिकारी के मुताबिक, अब सेना चौथे और तीसरे ग्रेड की ट्रेनिंग एक साथ कराकर दूसरे ग्रेड के लिए सीधे यूनिट भेजने के लिए नई ट्रेनिंग का कैलेंडर बना रही है। अभी इसे लेकर स्पष्ट गाइडलाइन नहीं मिली है, लेकिन अपने ट्रेनर को भी नए ट्रेनिंग सिस्टम के तहत तैयार करना होगा।
इनकी ट्रेनिंग में भी होगा बदलाव : सैनिक जीडी के अलावा क्लर्क और तकनीकी ट्रेड के रिक्रूटों की ट्रेनिंग में भी बदलाव किया जाएगा। अभी एक इन्फेंट्री के क्लर्क की 20 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग के बाद 32 सप्ताह की क्लर्कियल ट्रेनिंग होती है, जबकि इंजीनियरिंग कोर के जवानों की 20 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग के बाद उनकी पुलों और बारुदी सुरंगों की ट्रेड के अनुसार ट्रेनिंग होती है, जो कि कुल 30 माह की तय है।
दीदारे हिन्द की रिपोर्ट

