शस्त्र को शास्त्र से बड़ा मानने वाली शक्तियों को शिक्षालय व समाज से रखें दूर : अखिलेश यादव…

शस्त्र को शास्त्र से बड़ा मानने वाली शक्तियों को शिक्षालय व समाज से रखें दूर : अखिलेश यादव…

लखनऊ, 17 दिसंबर । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर देशवासियों को संबोधित करते हुए सत्ताधारी दल पर तीखा, लेकिन परोक्ष हमला बोला है। उन्होंने शिक्षा, सामाजिक सौहार्द और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा कि जो लोग शस्त्र को शास्त्र से बड़ा मानते हैं, उन्हें शिक्षालयों, विश्वविद्यालयों, घर-परिवार और समाज से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा हिंसक सोच को सभ्य बनाती है और शिक्षा को हिंसक विचारधारा से बचाना हर जागरूक नागरिक का दायित्व है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे स्वयं भी नकारात्मक और हिंसक सोच वाले लोगों से दूरी बनाएं और अपने परिवार, मित्रों व समाज को भी सतर्क करें।

सपा प्रमुख ने ऐसी विचारधाराओं की तुलना ‘विषबेल’ से करते हुए कहा कि इन्हें जैसे ही जमीन और सहारा मिलता है, ये तेजी से फैलने लगती हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति और समाज दोनों को नुकसान होता है। प्रेम, सौहार्द और शांति को बचाने के लिए इनसे सावधान रहना जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें अपने प्रभुत्व और प्रभाव को बनाए रखने के लिए समाज में विभाजन और विद्वेष की राजनीति करती हैं, जिससे देश का अमन-चैन बिगड़ता है और विकास की राह बाधित होती है।

अखिलेश यादव ने आगे कहा कि वर्चस्ववादी और रूढ़िवादी सोच रखने वाले लोग पीछे की ओर देखना चाहते हैं। वे शिक्षण संस्थानों पर कब्जा इसलिए करना चाहते हैं ताकि बच्चों और युवाओं में नई, सवाल करने वाली सोच विकसित न हो सके। उनका उद्देश्य सामाजिक गैर-बराबरी को बनाए रखना है, जिससे सदियों से चली आ रही ऊंच-नीच की व्यवस्था कायम रहे। इसी वजह से ये ताकतें संविधान, समानता और आरक्षण जैसे प्रावधानों का विरोध करती हैं।

उन्होंने कहा कि अब जब पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समाज जागरूक हो चुका है, तो नकारात्मक सोच वाले गुट घबराए हुए हैं। भय और अविश्वास फैलाने वाले ये लोग जनाक्रोश से डरकर अपनी पकड़ बनाए रखने की अंतिम कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने दावा किया कि 95 प्रतिशत उत्पीड़ित, शोषित, वंचित और उपेक्षित पीडीए समाज अब और अन्याय सहने को तैयार नहीं है। पीड़ा बढ़ रही है, इसलिए पीडीए का दायरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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