प्रतिनिधि सभा से रक्षा विधेयक पारित, सैनिकों का वेतन बढ़ाने और हथियार खरीद प्रक्रिया बदलने का प्रावधान
प्रतिनिधि सभा से रक्षा विधेयक पारित, सैनिकों का वेतन बढ़ाने और हथियार खरीद प्रक्रिया बदलने का प्रावधान

वॉशिंगटन, 12 दिसंबर। अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा ने बुधवार को एक अहम रक्षा नीति विधेयक को पारित किया। इस विधेयक में 900 अरब डॉलर के सैन्य कार्यक्रमों को मंजूरी देने की बात कही गई है। इसमें सैनिकों की तनख्वाह बढ़ाने और रक्षा मंत्रालय द्वारा हथियारों की खरीद के तरीके में सुधार करने का प्रावधान शामिल है। यह बिल ऐसे समय में आया है, जब रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाली कांग्रेस (संसद) और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के बीच सैन्य प्रबंधन को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं।
इस विधेयक का नाम ‘राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम’ (एनडीएए) है। इस विधेयक को दोनों राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है और व्हाइट हाउस ने भी यह कहते हुए इसका मजबूती से समर्थन किया है कि यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के अनुरूप है। फिर भी इस तीन हजार से अधिक पन्नों वाले विधेयक में कुछ ऐसे प्रावधान भी हैं, जो रक्षा मंत्रालय पर नियंत्रण बढ़ाने के उद्देश्य से हैं। इनमें कैरिबिया में नावों पर हमलों पर अधिक जानकारी मांग, यूरोप में यूक्रेन जैसे सहयोगियों को समर्थन देने जैसे प्रावधान भी हैं।
इस विधेयक में अधिकांश सैन्य कर्मियों के वेतन में 3.8 फीसदी की वृद्धि और सैन्य ठिकानों पर रहने और सुविधाओं में सुधार करने और राजनीतिक दलों के बीच समझाते का प्रावधान भी है। ट्रंप की नीति के अनुरूप इसमें जलवायु और विविधता से जुड़े प्रयासों को कम किया गया है। साथ ही, पेंटागन पर कांग्रेस की निगरानी बढ़ाई गई है और कई पुराने युद्ध प्राधिकरण रद्द किए गए हैं। इसके बावजूद कुछ सख्त रुख वाले दक्षिणपंथी नाराज हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह विधेयक अमेरिका की विदेश में मौजूद प्रतिबद्धताओं को कम नहीं करता।
सैन्य हथियारों की खरीद के तरीके में बदलाव
सैन्य मामलों के पर्यवेक्षक का कहना है कि इस विधेयक में पेंटागन की हथियार खरीद प्रक्रिया में बदलाव होगा और इसमें तेजी लाने पर जोर दिया गया है, क्योंकि रक्षा उद्योग में पिछले कई वर्षों से देरी हो रही है। रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के लिए भी यह प्राथमिकता है। सांसद एडम स्मिथ ने कहा कि यह विधेयक अधिग्रहण सुधार के लिए सबसे अहम प्रयास है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

