देश के विभाजन के इतिहास को स्मरण रखना जरूरी-सरसंघचालक
नागपुर। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि नई पीढ़ी को देश के विभाजन के कारणों को याद रखना चाहिए। ऐसा करने से हम देश को एक रख सकेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत आज यहां विजयादशमी के अवसर पर रेशिमबाग स्थित संघ मुख्यालय में एकत्र स्वयंसेवकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें ‘स्व’ को पहचानना होगा। जब हम स्व को भूल गए, तब से ही हूण, शक और यवनों से लेकर अंग्रेजों तक ने हम पर शासन किया। स्व का भान होते ही हम स्वाधीन हुए।
संघ प्रमुख ने कहा कि स्व के साथ चलने वाला ‘तंत्र’ सर्वोत्तम होता है। पर्व-त्योहारों पर अनौपचारिक मुलाकातें होती रहनी चाहिए। इससे आपस में प्रेम व्यवहार बढ़ता है। भेद रहित समाज ही स्वतंत्रता के टिके रहने का प्रमाण है। डॉ. भागवत ने इस संदर्भ में गुरु तेगबहादुर का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का बलिदान अपने अपने पंथ की उपासना करने का स्वातंत्र्य देते हुए सबकी उपासनाओं को सम्मान एवं स्वीकार्यता देता है। ऐसा सम्मान और स्वतंत्रता देने वाला देश का परंपरागत तरीका फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है।
मन का भेद खत्म करने की बात करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि मन का ब्रेक उत्तम है। बच्चे नशे की लत से दूर रहें, इसके लिए अच्छे संस्कार करना परिवार की जिम्मेदारी है। इसीलिए संघ कुटुंब प्रबोधन अभियान चलाता है।