मनीष गुप्ता की हत्या पुलिस वर्दी पर एक बदनुमा दाग है
लखनऊ/ गोरखपुर। कभी जरायम पेशा लोगों की आपसी खून खराबे के कारण शिकागो की तुलना में बदनाम गोरखपुर आज एक बार फिर एक दुर्दांत हत्याकांड को लेकर चर्चाओं के घेरे में है। लेकिन इस बार हत्या किसी जरायम पेशा ने नहीं की वरन कानून के रखवाले वर्दीधारियों ने ऐसा जघन्य किया कि सारी मानवता ही शर्मसार हो गई। खाकी को भी शर्मसार होने का भी इन वर्दी धारियों ने भरपूर मौका दिया। बाबा गोरखनाथ की कर्म भूमि और बुद्ध के जन्म और निर्वाण के स्थानों को अपने अंक में समेटे गोरखपुर के पूर्व सांसद योगी आदित्यनाथ जब से सूबे के मुख्यमंत्री बने, गोरखपुर सहित पूरे प्रदेश में विकास ने गति पकड़ी । विशेषकर गोरखपुर में ऐसे तमाम कार्य हुए जिन्हें लेकर सूबे के अन्य जिलों में चर्चाएं होती हैं और यही चर्चा और उत्सुकता कानपुर निवासी और 38 वर्षीय युवा मनीष गुप्ता के लिए मौत का बुलावा भी बन गई। जिसकी जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है।
कानपुर के जनता नगर बर्रा निवासी नंदकिशोर गुप्ता के 38 वर्षीय पुत्र मनीष गुप्ता ने भी गोरखपुर के विकास , यहां बन रहे चिड़ियाघर नक्षत्र शाला और मुंबई के मरीन ड्राइव को मुकाबला देता रामगढ़ ताल का सौंदर्यीकरण की चर्चाएं सुनी और लॉकडाउन की बंदिशें समाप्त होते ही अपने दो दोस्तों प्रदीप चौहान और हरदीप चौहान के साथ गोरखपुर आए। पेशे से मनीष और उनके दोस्त रियल ईस्टेट के धंधे से जुड़े थे संभवत वह गोरखपुर में रियल इस्टेट की संभावनाओं को भी तलाशना चाहते थे।
यहां उनके मित्र सिकरीगंज के महादेवा बाजार निवासी चंदन सैनी और बढ़यापार निवासी राणा प्रताप चंद्र उन्हें गोरखपुर आने का आमंत्रण दिया था और उन्हें नवसृजित रामगढ़ ताल थाना अंतर्गत कृष्णा पैलेस नामक एक भव्य होटल में कमरा नंबर 512 में ठहराया। सोमवार की सुबह गोरखपुर पहुंचे मनीष और उनके दोस्तों ने अपने गोरखपुर के मित्रों के साथ दिन का समय घूमने में बिताया और रात्रि में खाना खाने के बाद होटल में अपने कमरे में आ गए । कहते हैं रात के अंधेरे में सायों की चाल पहचानी नहीं जाती। ऐसे ही कुछ साए रात के 12:30 बजे मनीष के कमरे को खटखटाते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मनीष सो रहे थे उनके दोस्तों ने दरवाजा खोला तो देखा कुछ वर्दीधारी गेट पर खड़े हैं, जो दोस्तों को धक्का देकर अंदर घुसे और उन लोगों से आईडी मांगा। उसके बाद सो रहे मनीष को दबंगई के साथ उठाया, जो मनीष को नागवार गुजरा और उसने बस इतना कुसूर कर दिया की वर्दी के इस दबंगई पर प्रश्न उठा दिया कि क्या हम आपको आतंकवादी नजर आते हैं ? इसके बाद जो हुआ वह पुलिस की बर्बरता की ही कहानी दोहराता है।
सभी पुलिसवाले उस पर टूट पड़े और इतना मारा कि वह खून से लथपथ बेदम हो गया । जब मनीष बेदम होकर गिर पड़ा तो पुलिस वालों ने उसका बाल पकड़कर उसे उसका सर दीवाल से टकरा दिया, पिस्टल के वट से मारा और फिर उसे घसीटते हुए घायल अवस्था में गाड़ी में लादकर पैडलेगंज के एक अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टर ने मनीष को मृत घोषित किया और फिर लगभग 2 घंटे के अंतराल के बाद पुलिस मनीष को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचती है। जहां उसे मृत घोषित कर दिया जाता है। प्रश्न है की पैडलेगंज से मेडिकल कॉलेज रात के सन्नाटे में जो रास्ता 25 मिनट में होता उसे तय करने में पुलिस को 1: 45 घंटे कैसे लगे ? बताया जाता है कि इस दौर में पुलिस ने अपनी वर्दी बदली, खून के धब्बे लगे कपड़े हटाए और तब लेकर गए, क्योंकि वह जानते थे मनीष तो मर चुका है। इस घटना में नेतृत्व कर रहे रामगढ़ ताल थाने के इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और उनके साथ उनके सिपाहियों ने दावा किया है कि वे एसएसपी के आदेश पर होटल में चेकिंग करने गए थे और मनीष चुकी बहुत शराब पिए थे इसलिए उठने के बाद लड़खड़ा कर गिर पड़े और चोट लगने से उनकी मौत हुई । रहस्य तब और गहरा जाता है जब पुलिस वालों के निर्देश पर होटल प्रशासन ने तमाम सबूतों को 512 नंबर कमरे से मिटा दिया।
देखते देखते यह मामला तूल पकड़ने लगा, कानपुर से मनीष का परिवार उसके पिता उसकी पत्नी मीनाक्षी गुप्ता उसका अबोध बालक आदिराज गुप्ता सभी अन्य लोगों के साथ गोरखपुर पहुंचे। रो-रो कर बार-बार बेहोश हो रही उसकी पत्नी सिर्फ एक बात कह रही थी कि मेरे पति की हत्या की गई है। पुलिस ने मनीष के शव का पोस्टमार्टम कराया और मंगलवार की देर शाम तक पोस्टमार्टम के बाद परिवार के लोगों ने शव लेने से और अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। परिवार वालों का कहना था कि इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और उनके सहयोगी पुलिसकर्मियों ने जानबूझकर मनीष की हत्या की है । और जब तक इनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज नहीं हो जाएगा वह मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे । इस बीच कहा जाता है कि मेडिकल कॉलेज चौकी पर डीएम और एसएसपी के साथ तमाम अधिकारी मौजूद थे ।
एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें यहां के कुछ आला अधिकारी मीनाक्षी गुप्ता को रिपोर्ट दर्ज ना करने की सलाह भी देते हुए सुनाई दे रहे हैं। लेकिन मीनाक्षी गुप्ता और मनीष गुप्ता के परिजन आरोपी दरोगा जगत नारायण सिंह फल मंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा और उनके साथ उपस्थित चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। अफसरों के मान मनोबल का भी जब कोई असर नहीं हुआ तो रात को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया साथ ही राहत कोष से 1000000 रुपए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया जिसके बाद देर रात मनीष गुप्ता के शव को लेकर उनके परिजन कानपुर के लिए रवाना हुए।
इस बीच आरोपी पुलिस वाले फरार हो गए। कहा जाता है कि स्थानीय पुलिस उनकी तलाश कर रही है ,,लेकिन चर्चाएं बहुत तेज हैं कि अधिकारियों की जानकारी में वह मामले को मैनेज करने पर लगे हुए हैं। मनीष के पोस्टमार्टम में एंटी मार्टम इंजरी आया है। बिसरा भी जांच के लिए सुरक्षित किया गया है। इसी को लेकर पुलिस कर्मियों में काफी बेचैनी है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले में जरा भी ढिलाई नहीं होने देंगे और वे स्वयं कानपुर जाकर पीड़ित परिवार जनों से मिलेंगे।
इस सारी घटना को लेकर आम जनता में काफी उबाल है। जैसे जैसे समय बीत रहा है सच्चाई की परत दर परत सामने आ रही है। मनीष की हत्या के बाद पुलिस वालों ने खुद कमरे में पस रे खून को साफ कराया और वर्दी बदलकर मनीष को लेकर मेडिकल कॉलेज गए थे। सूत्रों के अनुसार पुलिस की पूरी बर्बरता होटल में लगे सीसीटीवी में कैद है। जो एक बड़ा सबूत बन सकती है। अगर पुलिस वाले चाहे तो।
इस बीच यह भी जानकारी मिली है कि गोरखपुर से कानपुर जाते समय पुलिस अधिकारी लगातार पीड़ित परिजनों पर इस बात का दबाव बना रहे थे कि कानपुर में मीडिया से बात न की जाए और रास्ते में बच्चा भूख से तड़पता रहा लेकिन पुलिस वालों ने गाड़ी नहीं रोकने दी। यह पुलिस का अमानवीय चेहरा उजागर करता है । कानपुर पहुंचने के बाद भी अधिकारी लगातार दबाव बना रहे थे कि शीघ्र मनीष का अंतिम संस्कार हो जाए लेकिन मनीष की पत्नी न्याय के लिए अपनी आवाज को लगातार उठाती रही ।
उधर इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी काफी हलचल है। गोरखपुर में जहां सपा ने इस मामले को बड़ी तेजी से अपने हाथ में लिया, वही चर्चा है कि शीघ्र ही प्रियंका गांधी वाड्रा भी कानपुर जाकर पीड़ित परिवार से मिल सकती हैं। इस बीच एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और उचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है जांच जारी है न्याय किया जाएगा। दूसरी तरफ उनका एक बयान कि चेकिंग के दौरान ID नहीं दिखा पाए थे मनीष, भागते समय गिरे: ADG L&O
उत्तर प्रदेश में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में मौत के मामले में प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का बयान सामने आया है. एडीजी ने कहा है कि उस रात एसएसपी, गोरखपुर के आदेश पर होटलों में चेकिंग हो रही थी. चेकिंग के दौरान मनीष गुप्ता आईडी नहीं दिखा पाए थे. पुलिस से बचने के लिए मनीष भागते समय गिर गए थे. इलाज के दौरान मनीष की मौत हो गई चर्चा का विषय बना हुआ है।
इसी बीच पीड़ित परिवार से सीएम योगी मिले और सांत्वना दी। सीएम ने पीड़ित परिवार की मांगें मानी और मनीष गुप्ता की पत्नी को कानपुर विकास प्राधिकरण में ओएसडी की नौकरी दी जायेगी, राहत राशि भी 10 लाख से बढाने के लिये जिला प्रशासन से CM ने प्रस्ताव देने को कहा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट
कारोबारी मनीष की मौत सिर पर चोट लगने से हुई। इसके अलावा शरीर पर भी घाव के निशान मिले हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इसकी पुष्टि हुई है। दो डॉक्टरों के पैनल ने वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया है। जानकारी के मुताबिक, दिनभर की कवायद के बाद शाम छह बजे पोस्टमार्टम शुरू किया गया। रिपोर्ट में सिर में चोट के अलावा शरीर पर घाव के निशान सामने आए हैं। इससे एक बात तो साफ है कि सिर्फ गिरने भर से ऐसी चोट संभव नहीं है। दूसरे, होटल के कमरे में गिरने से इस तरह की चोट पर भी सवाल उठ रहा है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को दिए 20 लाख
वहीं इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ना भी शुरू कर दिया है विपक्ष ने भी सरकार पर हमला है। समाजवादी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो ट्वीट कर कहा कि ‘निर्दोष की जान लेने के बाद न्याय नहीं देने की बात कर रही है भाजपा सरकार शर्मनाक एवं दुखद! इसी बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पीड़ित परिवार से मिलने कानपुर पहुंचे। उन्होंने मृतक की पत्नी को 20 लाख की आर्थिक मदद दी। साथ ही सरकार से सपा ने दो करोड़ मुआवजे की मांग करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माग की।