सीएचसी, पीएचसी में सुविधाओं का अभाव, कैसे हो बेहतर उपचार..

सीएचसी, पीएचसी में सुविधाओं का अभाव, कैसे हो बेहतर उपचार..

शामली, 19 जून। कैराना क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्र में सुविधाओं का अभाव है। साथ ही स्टाफ की कमी है। इसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी भी इसका बड़ा कारण है। नगर में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब तीन लाख की जनसंख्या को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की अपने आप में बड़ी जिम्मेदारी है। विडंबना यह है कि विभाग के उच्चाधिकारी क्षेत्र से अपना ध्यान हटाए हुए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत ऊंचागांव, कंडेला, भूरा और डूंडूखेड़ा में चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित 27 उपकेंद्र मौजूद हैं। सीएचसी सहित सभी जगह चिकित्सकों, सफाई कर्मियों और चौकीदारों की कमी के कारण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवा अभाव से जूझ रही है। भीषण गर्मी में रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र भी अधिकतर स्टाफ की कमी के कारण बंद पड़े हैं। सीएचसी पर चिकित्सकों की कमी के कारण रोगियों की भारी भीड़ दिखाई देती है। लेकिन स्टाफ नर्स, एएनएम व आशाओं की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं लाचार हैं। सीएचसी के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 18 उपस्वास्थ्य केंद्र मौजूद थे। जिनमें स्टाफ के अभाव में कैराना देहात, मवी, रामडा व बधेव फिलहाल बंद पड़े हैं। सरकार की ओर से गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में नौ नए अन्य उप स्वास्थ्य केंद्रों को संचालित किया गया था। जिनमें एएनएम व आशाओं की कमी के चलते बरनावी, मंडावर, जंधेड़ी व नगलाराई चारों जगह स्टाफ के अभाव में बंद पड़े हैं। इस तरह सभी उपकेंद्रों की संख्या 27 हैं। नगर में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति भी ऐसी ही है। इस केंद्र से एक लाख की आबादी वाले नगरीय क्षेत्र को कवर किया जाता है। मात्र छः एएनएम ग्यारह आशाएं लगाई गई हैं, जबकि यहां आबादी के अनुपात में लगभग 30 एएनएम की और आवश्यकता है। स्टाफ की भारी कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हैं। विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। आधुनिक मशीन का नहीं हो रहा उपयोग सीएचसी पर लीवर व किडनी आदि की जांच के लिए आधुनिक मशीन तो मौजूद हैं, लेकिन उसका प्रयोग नहीं हो रहा है। दूसरी ओर, एलएफटी व केएफटी जांच की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन जांच के दौरान प्रयोग होने वाला रीजेंट कैमिकल खत्म होने के करण यह आधुनिक मशीन शोपीस बनकर रह गई है। -इन्होंने कहा चिकित्साधीक्षक डा. शैलेंद्र चौरसिया का कहना है कि स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए पूर्व में कई बार मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर मांग की गई है। जांच मशीन का कैमिकल उपलब्ध नहीं है। सभी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उच्चाधिकारियों से मांग की जाएगी।

दीदारे हिन्द की रिपोर्ट

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