संयमित जीवनशैली से सर्वाइकल कैंसर से बचाव सम्भव : प्रो. जीएस तोमर

संयमित जीवनशैली से सर्वाइकल कैंसर से बचाव सम्भव : प्रो. जीएस तोमर

प्रयागराज, 30 जनवरी। आयुर्वेद के अनुसार किसी भी बीमारी को प्रारम्भिक अवस्था में ही चिकित्सा करने पर बीमारी अपने जटिल अवस्था तक नहीं पहुंचने पाती है। इसके साथ ही गर्भिणी परिचर्या, सूतिका परिचर्या, रजस्वला परिचर्या, ऋतुमती परिचर्या के लिए बताये नियमों का पालन कर सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी से बचाव सम्भव है। उक्त विचार विश्व आयुर्वेद मिशन अध्यक्ष प्रोफेसर जी.एस तोमर ने ऑनलाइन स्वास्थ्य संगोष्ठी में व्यक्त किया। रविवार को विश्व आयुर्वेद मिशन द्वारा सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के अंतर्गत आयोजित संगोष्ठी में उत्तराखण्ड की पूर्व आयुष डायरेक्टर जनरल डॉ. पूजा भारद्वाज ने कहा कि संयमित जीवनचर्या एवं आहार द्वारा गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से बचा जा

सकता है। गर्भाशय ग्रीवा कैंसर जो भारत में महिलाओं की अकाल मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है, प्रतिवर्ष लगभग एक लाख से अधिक महिलाएं इससे प्रभावित होती हैं। लगभग 70 हजार की मृत्यु प्रतिवर्ष होती है। लगभग प्रत्येक 7 मिनट में एक महिला की मृत्यु केवल भारत में होती है। उन्होंने कहा कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इस रोग का प्रमुख कारण है जो संभोग संचारित व्याधि है। कम आयु में यौन सम्बंध, एक से अधिक पुरुषों से संबंध, कम आयु में बच्चे पैदा होना, अधिक संतानों का होना, गरीबी और अस्वच्छता, धूम्रपान आदि इसके प्रमुख कारण हैं। भोजन में फलों एवं सब्जी का अधिक उपयोग विटामिन ए, डी, सी का भरपूर मात्रा में प्रयोग सब्जियों के माध्यम से किया जाए। योनि का नियमित परीक्षण एवं 9 से 15 वर्ष के मध्य कन्याओं का एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में सहायक है।

कानपुर मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो.सीमा द्विवेदी ने कहा कि दुनिया में हर मिनट एक महिला को सर्वाइकल कैंसर हो रहा है। जिसके एक तिहाई मामले सिर्फ भारत और चीन से हैं। यदि शादी उचित उम्र में हो, यौन शुचिता का पालन हो,

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परिवार नियोजन एवं यौन रोगों का समय पर उचित इलाज और समय-समय पर गर्भाशय के मुंह की जांच द्वारा न सिर्फ सर्विक्स के कैंसर को रोका जा सकता है, अपितु रोग का समय पर पता चलने एवं निदान से अनेक महिलाओं की जान बचाई जा सकती है।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली से डॉ. कामिनी धीमान ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर दो प्रकार से होता है। स्क्वेमस सेल एवं एडिनो कार्सिनोमा तथा विभिन्न स्टेजेज होती है, जिनका निदान लक्षण एवं परीक्षण से हो सकता है। आयुर्वेदिक औषधियां जैसे अश्वगंधा, गुडुची, आमलकी आदि का प्रयोग करके इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं। विभिन्न स्राव, कटिशूल एवं असामान्य रक्त स्राव जैसे लक्षणों में आयुर्वेदिक थेरपी जैसे प्रक्षालन, पिचू आदि किया जा सकता है। विभिन्न रसौषधियां जैसे सुवर्ण मालिनी वसंत, बृहतवात चिंतामणि, हीरक भस्म आदि भिन्न भिन्न स्टेजिस में वैद्यजनों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है। वर्धमान पिप्पली का प्रयोग भी वैद्य लोग करते हैं।

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज की पूर्व शोध अधिकारी डॉ शांति चौधरी ने कहा हमारे देश में कैंसर के मामले में सर्वाइकल कैंसर का चौथा स्थान है। यदि संख्या की दृष्टि से देखें तो महिलाओं में सर्वाधिक स्तन कैंसर होता है और द्वितीय स्थान पर सर्वाइकल कैंसर। सर्वाइकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर अब काफी हद तक कम हो रहा है। पैप स्मीयर परीक्षण योनि से होने वाले स्राव से किया जाता है जिससे बहुत आसानी से सर्वाइकल कैंसर का निदान हो जाता है। इसके लिए ह्यूमन पैपिलोमा वायरस परीक्षण किया जाता है। अब सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिसे एचपीवी वैक्सीन के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा स्कूल कॉलेज की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय बताना लाभकारी होगा। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज वाराणसी की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजना सक्सेना ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर स्त्री जननांगों का सर्वाधिक पाया जाने वाला रोग है। कार्यक्रम का संचालन चिकित्साधिकारी डॉ. अवनीश पाण्डेय ने किया।

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