घुसपैठ करने के लिए आतंकवादियों को सर्दियों के कपड़े, नेविगेशन एप प्रदान कर रहा
आईएसआई जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए आतंकवादियों को सर्दियों के कपड़े, नेविगेशन एप प्रदान कर रहा
नई दिल्ली, 27 दिसंबर। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से जम्मू-कश्मीर में और अधिक आतंकवादियों को घुसपैठ कराने के उद्देश्य से, पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया शाखा, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), घुसपैठियों को सर्दियों के कपड़े और नेविगेशन ऐप उपलब्ध करा रही है। सुरक्षा व्यवस्था में तैनात सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि इन आतंकवादियों को जीपीएस आधारित नेविगेशनल प्रणाली का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है और भारतीय सुरक्षा बलों की निगरानी से बचने के लिए और जम्मू-कश्मीर के वन क्षेत्रों में जीवित रहने के साथ अन्य रणनीति में भी प्रशिक्षित किया गया है।
नवीनतम खुफिया सूचनाओं का हवाला देते हुए, सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार विभिन्न लॉन्च पैड पर लगभग 250 आतंकवादियों की मौजूदगी की पुष्टि की गई है और लगभग 90 आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।
खुफिया एजेंसियों ने सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट दिया है। ये लॉन्च पैड जम्मू-कश्मीर में मचल, तंगधार और केरन सेक्टरों के करीब है और आतंकवादी एलओसी में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं।
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केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षा नेटवर्क के अधिकारियों ने कहा कि आईएसआई ने उन्हें घुसपैठ के लिए नए रास्ते तलाशने का निर्देश दिया है और गिरफ्तार किए गए ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) से पूछताछ से भी इसकी पुष्टि हुई है।
गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने संभावित नए रास्ते मुहैया कराए हैं और उन्हें कश्मीर में भारी बर्फबारी के बावजूद अपने प्रयास जारी रखने का निर्देश दिया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार किए गए ओजीडब्ल्यू ने यह भी स्वीकार किया है कि पीओके में कालाकोट, मनजोत, काशनाला आदि जैसे पांच नए मार्ग आतंकवादी मानचित्र पर हैं, अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सीमा पर गश्त बढ़ा दी गई है।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ग्रिड के एक अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर सर्दियों के दौरान घुसपैठ के प्रयास हाल के वर्षों में कम हुआ करते थे, लेकिन इस साल इस प्रवृत्ति में वृद्धि देखी गई है जो सीमा पर तैनात सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।
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