गैरकानूनी संगठन घोषित किये जाने से संबंधित कार्रवाई में जाकिर नाइक के आईआरएफ से रुख बताने को कहा गया
गैरकानूनी संगठन घोषित किये जाने से संबंधित कार्रवाई में जाकिर नाइक के आईआरएफ से रुख बताने को कहा गया
नई दिल्ली, 20 दिसंबर। गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक न्यायाधिकरण ने जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के केंद्र के फैसले पर विचार करने के लिए कार्यवाही में सोमवार को उससे अपना रुख स्पष्ट करने को कहा।
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सुनने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल सहित एक सदस्यीय गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण ने कार्यवाही में नोटिस जारी किया।
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केंद्र ने 15 नवंबर को, आईआरएफ को पांच साल के लिए एक गैरकानूनी संगठन घोषित करते हुए कहा था कि वह ऐसी गतिविधियों में लिप्त है, जो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक है और इसमें शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बाधित करने की संभावना है।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 5(1) के अनुसार, केंद्र ने 13 दिसंबर को, “इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को एक गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण है या नहीं, यह तय करने के उद्देश्य से न्यायाधिकरण का गठन किया था।” आईआरएफ को नवंबर 2016 में एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था और मई 2017 में यूएपीए न्यायाधिरण द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी।
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