शूलटंकेश्वर-काशी सुमेरू पीठाधीश्वर की अगुवाई में बटुकों ने किया श्रावणी उपाकर्म.

शूलटंकेश्वर-काशी सुमेरू पीठाधीश्वर की अगुवाई में बटुकों ने किया श्रावणी उपाकर्म.

वाराणसी, 12 अगस्त । श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर शुक्रवार को काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती के निर्देशन व पं. सत्यम चौबे के आचार्यत्व में आदि शंकराचार्य वेद महासंस्थानम् के बटुकों ने शूलटंकेश्वर महादेव के पास मां गंगा की गोद में श्रावणी उपाकर्म किया। श्रावणी उपाकर्म के बाद बटुकों ने श्री आदि शंकराचार्य वेद महासंस्थान में पूरे वैदिक विधि-विधान सप्तर्षि पूजन किया। इस अवसर पर स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म में श्रावणी पूर्णिमा का बहुत महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष पूर्णिमा तिथि शुक्ल पक्ष की पंद्रहवीं तिथि होती है। इसी तरह अमावस्या कृष्‍ण पक्ष होता है। इन दोनों तिथियों पर पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म, देवी-देवता का पूजन, उपाय, नदी, सरोवर और तीर्थस्थलों पर स्नान, यज्ञ, जप, तप, हवन व दान आदि किए जाते हैं। इससे मनुष्य को सुखी, समृद्ध होने और पितृ देव का आशीष प्राप्त होता है।

दीदारे ए हिन्द की रिपोर्ट

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