सबसे बड़ी विडम्बना…

सबसे बड़ी विडम्बना…

-रतन लाल जाट-

माता-पिता की व्यस्त जिंदगी से
अकेले आप अपने में सिमटे बच्चे
बूढे़ माँ-बाप को अनाथालय भेजते
आज के सुशिक्षित नौकरी-पेशा वाले
यही आज की सबसे बड़ी विडम्बना है
टूटती लव मैरिज बिखरते परिवार-रिश्ते हैं
जमीन-जायदाद के लिए दुश्मन बने भाई हैं
पराये को छोड़ अपनों के लिए भी समय नहीं है
दया-प्रेम और सहयोग पर स्वार्थ-धोखा हावी है
क्या यह आज की सबसे बड़ी विडम्बना है
भीड़ के मध्य है सब अकेले
पैसों के बिछौने पर तन्हा रोते
खुद से परेशान आत्महत्या करते
या बेवजह अजनबी का गला घोंटते
शायद अब एक यही सबसे बड़ी विडम्बना है।।

दीदार ए हिन्द की रिपोर्ट

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