रानीखेत में भारत का पहला ‘घास संरक्षण क्षेत्र’ विकसित

उत्तराखंड के रानीखेत में भारत का पहला ‘घास संरक्षण क्षेत्र’ विकसित

देहरादून, 14 नवंबर। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में रविवार को दो एकड़ में फैले भारत के पहले ‘घास संरक्षण क्षेत्र’ का उद्घाटन किया गया। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान इकाई ने केंद्र सरकार के क्षतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) कार्यक्रम के तहत वित्त पोषण से तीन साल में संरक्षित क्षेत्र विकसित की है। उन्होंने कहा कि संरक्षण क्षेत्र में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक, पारिस्थितिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व की लगभग 90 प्रजातियों की घास उगाई गई हैं। चतुर्वेदी ने कहा कि परियोजना का उद्देश्य घास की विभिन्न प्रजातियों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना, उनके

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

अमित शाह ने तिरुमाला मंदिर में की पूजा-अर्चना

संरक्षण को बढ़ावा देना और क्षेत्र में अनुसंधान की सुविधा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यह पहल इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई नवीनतम शोध में यह साबित हुआ है कि घास के मैदान वन भूमि की तुलना में ‘कार्बन सोखने’ में अधिक प्रभावी हैं। चतुर्वेदी ने कहा कि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि घास के मैदान विभिन्न प्रकार के खतरों का सामना कर रहे हैं और उनका क्षेत्र सिकुड़ रहा है, जिससे कीड़ों, पक्षियों और उन पर निर्भर स्तनधारी जीवों के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पौधों के बीच घास की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनसे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। संरक्षण क्षेत्र में घास की विभिन्न प्रजातियों की सात अलग-अलग किस्में हैं। इन घासों को सुगंध, औषधीय, चारा, सजावटी, कृषि और धार्मिक उपयोगों के लिए जाना जाता है।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जयंती, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

Related Articles

Back to top button