रणनीतिक रुप से खास बगराम एयरबेस पर अब रुस की नजर…
रणनीतिक रुप से खास बगराम एयरबेस पर अब रुस की नजर…

मास्को, 27 अप्रैल । अफगानिस्तान में तालिबान से लंबे युद्ध के बाद अमेरिका बगराम एयबेस से हट चुका है। अब यह एयरबेस वैश्विक शक्ति संतुलन में बड़ा बदलाव का कारण बन गया है। एक तरफ पाकिस्तान के रास्ते चीन बगराम एयरबेस पर नजरें जमाए बैठा है, वहीं अब रूस की रणनीति भी खुलकर सामने आ गई है।
यह सच है कि रूस ने धीरे-धीरे अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करना शुरु कर दिया है। इसके चलते ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में दो चौंकाने वाले फैसले ले लिए गए हैं। पहला फैसला हमास को रुसी बंधकों की रिहाई के लिए धन्यवाद कहा जाना रहा और इसी के साथ दूसरा फैसला रूस का तालिबान को आतंकवादी संगठन मानने से इनकार कर देना है। खबर है कि रूस की सुप्रीम कोर्ट ने 2003 से आतंकवादी घोषित तालिबान को आधिकारिक सूची से हटा दिया है, जिससे तालिबान को एक बड़ी जीत मिली है। रूस के इस कदम को भू-राजनीतिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। मास्को लंबे समय से खुद को क्षेत्रीय ताकत के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता वापसी के बाद उनके प्रतिनिधिमंडलों ने कई बार रूस का दौरा किया और कई मंचों में भाग भी लिया है।
एक तरफ अमेरिका और इजराइल हमास को खत्म करने में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर हमास को लेकर पुतिन का रवैया सॉफ्ट कॉर्नर वाला दिख रहा है, जो चर्चा का विषय बना है। पुतिन ने अक्टूबर 2023 के इजराइल-हमास संघर्ष में अगवा किए गए तीन रूसी नागरिकों की रिहाई पर हमास को सार्वजनिक रूप से धन्यवाद कहा था। पुतिन ने कहा था कि यह रूस और फलस्तीनी संगठनों के सालों पुराने रिश्तों का परिणाम है। इन सभी घटनाओं के बीच रूस की एक और गतिविधि ध्यान खींच रही है। अफगानिस्तान की सीमा पर रूस और तजाकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास।
इन तमाम बदलावों को देखते हुए विशेषज्ञ तो यही कह रहे हैं कि रुस की यह तैयारी दुनिया के सबसे रणनीतिक एयरबेस बगराम एयरबेस को लेकर है। यहां बताते चलें कि यह वही बगराम एयरबेस है जो पहले कभी अमेरिकी सेना का अड्डा हुआ करता था और अब चीन वहां सक्रिय नजर आ रहा है, इसी बीच रूस की नजर इस पर पड़ी है। दरअसल रुस जानता है कि बगराम एयरबेस से चीन, ईरान, भारत, सेंट्रल एशिया और यूरोप तक रणनीतिक गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। यही वजह है कि रूस इस एयरबेस पर नियंत्रण पाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए तालेबान पर मेहबान होता दिख रहा है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट