‘मेड इन इंडिया चिप्स’ पर चलने वाले टेलीकॉम सिस्टम को मिला टीईसी सर्टिफिकेशन : अश्विनी वैष्णव..
‘मेड इन इंडिया चिप्स’ पर चलने वाले टेलीकॉम सिस्टम को मिला टीईसी सर्टिफिकेशन : अश्विनी वैष्णव..

नई दिल्ली, 07 सितंबर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित चिप्स का इस्तेमाल करने वाले टेलीकॉम सिस्टम को स्टैंडर्ड्स और क्वालिटी टेस्ट पास करते हुए टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) से सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस प्रगति की प्रशंसा करते हुए इसे देश के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक बड़ी छलांग बताया।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने एक्स पर लिखा, “भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा के लिए एक बड़ी छलांग! पहली बार, ‘भारत में निर्मित’ चिप्स पर चलने वाले एक टेलीकॉम सिस्टम ने मानकों और गुणवत्ता परीक्षणों (टीईसी सर्टिफिकेशन) को पास कर लिया है।”
टीईसी सर्टिफिकेशन दूरसंचार विभाग का गुणवत्ता मानक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि दूरसंचार उपकरण सख्त प्रदर्शन और सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं। घरेलू स्तर पर रोलआउट की मंजूरी के साथ, इस अप्रूवल ने भारत के स्थानीय चिप्स को वैश्विक समकक्षों के साथ खड़ा कर दिया है, जिससे निर्यात के अवसर खुल गए हैं।
यह उपलब्धि आयातित सेमीकंडक्टरों पर निर्भरता कम करने में प्रगति का संकेत देती है, जो हाल ही में वैश्विक स्तर पर आई कमी के कारण उजागर हुई एक कमजोरी है।
विश्लेषकों का कहना है कि डिजाइन, असेंबली, टेस्टिंग और इंटीग्रेशन में क्षमता बढ़ाने की भारत की रणनीति देश को सप्लाई चेन की कमियों को दूर करने में सक्षम बनाती है।
ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका चिप उत्पादन में अग्रणी हैं, इसलिए उनका केंद्रीकरण सप्लाई चेन जोखिम पैदा करता है, जिसे भारत कम करना चाहता है।
सेमीकंडक्टर लिथोग्राफी में वैश्विक अग्रणी, सेमीकंडक्टर उपकरण निर्माता एएसएमएल होल्डिंग एनवी ने हाल ही में आगामी वर्ष में भारतीय व्यवसायों के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के इरादे की घोषणा की है।
सेमीकंडक्टर सेक्टर में घरेलू विनिर्माण और डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपए की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के साथ 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) शुरू किया गया था।
इस योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत 1.60 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की 91,000 करोड़ रुपए की फैब, साणंद में माइक्रोन की 22,516 करोड़ रुपएय की पैकेजिंग सुविधा और अगस्त में शुरू हुई सीजी पावर की नई ओएसएटी पायलट लाइन शामिल है।
भारत 28एनएम-65एनएम रेंज में मैच्योर नोड्स पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो टेलीकॉम, ऑटोमोटिव और औद्योगिक एप्लीकेशन के लिए आवश्यक हैं।
भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था और 2024-25 में 45 से 50 अरब डॉलर और 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर, सेमीकंडक्टर बाजार उसी वर्ष तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट