मदरसों को किसी बोर्ड से जोड़ने का कोई मतलब नहीं : दारुल उलूम देवबंद…

मदरसों को किसी बोर्ड से जोड़ने का कोई मतलब नहीं : दारुल उलूम देवबंद…

सहारनपुर, 30 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद में रविवार काे आयोजित सम्मेलन ‘राब्ता मदारिस के इजलास’ में मदरसों को किसी भी शिक्षा बोर्ड से संबद्ध किए जाने का विरोध करते हुए कहा गया कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को समझ ही नहीं सकता है, इसलिए मदरसों को किसी बोर्ड से जोड़ने का कोई मतलब नहीं बनता है।
इस्लामी शिक्षा के जानकारों के इस सम्मेलन में एक स्वर से कहा गया कि मदरसों को किसी भी प्रकार की सरकारी मदद की जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी मदरसों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने के लिये मदरसों का सर्वे कराया है। जिसमें दारुल उलूम सहित तमाम अन्य गैर सरकारी मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं की सूची में शामिल किया गया है।
दारूल उलूम देवबंद की मस्जिद में आयोजित हुए इस सम्मेलन में देश भर के करीब 4.5 हजार मदरसा संचालकों ने भाग लिया। इन्हें संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद और उलेमा ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है। मौलाना मदनी ने कहा कि देश को आजाद कराने केे मकसद से मदरसों की स्थापना की गयी थी।
उन्होंने कहा, “मदरसों के लोगों ने ही देश को आजाद कराया, जो अपने देश से बेपनाह मुहब्बत करते हैं, लेकिन दुख की बात है कि आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं, और मदरसों को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं।” मौलाना मदनी ने कहा कि हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं, तो मुसलमान अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें। समाज के साथ-साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर वास्ता नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने देश की आजादी के बाद से खुद को सियासत से अलग कर लिया था। अगर हम उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े हिस्सेदार होते।”
उन्होंने कहा कि दीनी मदरीस का बोझ कौम उठा रही है और उठाती रहेगी। इसलिए इन संस्थाओं काे सरकारी मदद की दरकार नहीं है। मौलाना मदनी ने मौजूदा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा की आज दारुल उलूम देवबंद के निर्माण कार्यों पर पाबंदियां लगाई जा रही है। जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए भी किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ी, क्योंकि बुजुर्ग कांग्रेसी जानते थे कि दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है।
उन्होंने आगाह किया, “हालात और सरकारें बदलती रहती है। बहुत से लोग देश के करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गए, लेकिन हम देश के साथ खड़े हैं। कौन किसे वोट देता है या नहीं देता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है।” मौलाना अरशद मदनी ने दारुल उलूम देवबंद सहित सम्मेलन में पहुंचे सभी मदरसा संचालकों को शिक्षा के स्तर को बेहतर करने की नसीहत भी दी। इस दौरान मदरसों की शिक्षा के स्तर में सुधार संबंधी कई प्रस्ताव भी रखे गये।

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