बायोचार से खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी सरकार
बिहार में बायोचार से खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी सरकार
पटना, 20 दिसंबर। बिहार सरकार ने अब खेतों की मिट्टी की कम होती उर्वरा शक्ति को बढ़ाने को लेकर पहल प्रारंभ की है। कृषि विभाग अब बायोचार से मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बना रही है। धान के पुआल (पराली) को उच्च तापमान पर जलाकर कृषि विभाग बायोचार बनाएगा। इसके लिए विभाग किसानों से पराली खरीदेगा और उत्पन्न बायोचार को मिट्टी में मिलाने के लिए किसानों को देगा।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इसपर काम शुरू कर दिया है। कई स्थानों पर बायोचार यूनिट तैयार भी हो गई है। कुछ में बायोचार बनना भी शुरू हो गया है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास ने प्रथम लॉट तैयार भी कर लिया है, जिसमें 53 प्रतिशत बायोचार प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि औरंगाबाद, बांका, भोजपुर, पटना, गया, नालंदा के कृषि केंद्रों में बायोचार यूनिट तैयार कर ली गई है।
विभाग का मानना है कि फसल कटनी के बाद किसान अज्ञानतावश फसल अवशेष खेतों में जला देते हैं, जिससे मिट्टी में उपलब्ध जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। विभाग फसल अवशेष का बायोचार बनाकर खेतों में उर्वराशक्ति बढा रही है।
लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट
पंचायत चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता जारी
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को बायोचार यूनिट में दो-तीन दिनों तक पायरोलिसिस विघि से अपघटित किया जाता है, जिससे बायोचार प्राप्त हेागा। इस बायोचार के उपयोग से मिट्टी में कार्बन की मात्रा में बढ़ोतरी होगी। बायोचार का उपयोग 20 क्विंटल प्रति एकड़ भूमि में किया जाता है। पराली जलाने से उत्सर्जित कार्बन वायुमंडल में जाकर पर्यावरण को दूषित नहीं कर सकेगा। जितनी भी पराली जलायी जाएगी उसका 60 प्रतिशत बायोचार निकलेगा।
पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग ने कई प्रयास किये। पहले किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। अब तो जलाने वाले किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जा रही है। साथ में चिह्न्ति कर ऐसे किसानों को सभी सरकारी योजनाओं से वंचित भी किया जाने लगा। बावजूद पराली जलाने की घटना थम नहीं रही है। ऐसे में यह नई योजना मिट्टी की सेहत दुरुस्त करने के साथ पर्यावरण की भी रक्षा करेगी।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर के सोहाने बताते हैं कि पराली को 400 डिग्री पर जलाई जाती है। उन्होंने कहा कि बायोचार से खेतों में कार्बन की मात्रा बढ़ेगी। इसके अलावा मिट्टी में जरूरी दूसरे पोषक तत्व भी मिलेंगे। एक एकड़ खेत में बीस क्विंटल बायोचार डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली जलाने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है तथा खेतों के पोषक तत्वों को भी नुकसान पहुंचता है।
लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट
ओमीक्रोन: पांच और मामले पाए गए, कुल मामले हुए 19