परिधि योग में मनाई गई महाशिवरात्रि…
परिधि योग में मनाई गई महाशिवरात्रि…
-भगवान शिव को प्रसन्न करने व्रत, अभिषेक और महामृत्युंजय जाप किया श्रद्धालुओं ने

भोपाल, 26 फरवरी । इस बार महाशिवरात्रि विशेष संयोग लेकर आई। इस बार यह पर्व परिधि योग में मकर राशि के चंद्रमा तथा शिव जी के नक्षत्र श्रवण और धनिष्ठा की उपस्थिति में मनाया गया। 152 साल बाद सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में हैं। इससे पहले यह दुर्लभ योग 1873 में बना था। तब भी महाशिवरात्रि बुधवार के दिन पड़ी थी। इस विशिष्ट योग भगवान शिव को प्रसन्न करने श्रद्धालुओं ने व्रत, अभिषेक और महामृत्युंजय जाप किया।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को ज्योतिलिंग के रूप में प्रकट करने वाली महाशिवरात्रि का परम, पावन, पर्व महाशिवरात्रि बुधवार को पड़ा। महाशिवरात्रि का दिन शिव भक्तों तथा सनातन धर्मियों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। विश्वभर में फैले शिवानुरागी शिव भक्त अत्यन्त श्रद्धा-विश्वास के साथ जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक-विल्व पत्राभिषेक तथा अन्यान्य विधियों से शिव पूजन कर व्रत रखकर मनाते हैं। देश भर के द्वादश ज्योतिलिंग के साथ-साथ सभी शिव मन्दिरों में विशेष पूजन: अनुष्ठान का कार्य सम्पन्न हो रहा है।
शिवभक्ति में लोग होते हैं सराबोर
शास्त्रीय मान्यता एवं परम्परा के अनुसार इसी दिन बाबा भोलेनाथ का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था। इसलिए औघड़दानी बाबा भोलेनाथ के भक्त शिवभक्ति में सराबोर होकर शिव बारात निकालकर तथा व्रत रखकर अभिषेक करके मस्ती में आकर शिवरात्रि पर्व मनाते हैं। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनायी जाती है। शिवभक्तों के लिए शिवरात्रि का व्रत एवं भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी है। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति का मिलन का दिन है।
मान्यता है कि इस समय भगवान शिव का अशं प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। महाशिवरात्रि में शिवजी की पूजा और उपासना करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्तों का हर मनोकामना पूरी करते हैं। स्थाई सुख-समृद्धि, संतान सुख, आयु-आरोग्य की बृद्धि, रोग बाधा से छुटकारा मिलता है।जिन व्यक्तियों की जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष, विष योग,शनि की आढैया तथा साढ़ेसाती,साथ ही मंगली दोष व्याप्त है उन्हें शिवरात्रि का व्रत एवं भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा उपासना करना चाहिए।
महाशिवरात्रि व्रत से बढक़र और कोई व्रत नहीं
जिन लोगों के घर में कलह, वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़े से परेशानी, मामला मुकदमा, आर्थिक हानि, चालू व्यापार बंद हो जाना, भाग्य बाधा, संतान हीनता, विवाह बाधा तथा सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए महाशिवरात्रि व्रत से बढक़र और कोई व्रत नहीं हैं।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट