तमिलनाडु से दिल्ली तक: सीपी राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद तक की प्रेरक यात्रा…
तमिलनाडु से दिल्ली तक: सीपी राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद तक की प्रेरक यात्रा…

नई दिल्ली, 13 सितंबर । चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (सीपी राधाकृष्णन) देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शुक्रवार को शपथ लेकर उच्च संवैधानिक पद पर पहुँच गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह के दौरान पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आरएसएस से किशोरावस्था में जुड़कर भारतीय राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए संसद, संगठन, राज्यपाल पद और अब उपराष्ट्रपति बनने तक उनकी कहानी वास्तव में प्रेरणा का स्रोत है। तमिलनाडु में उन्हें “तमिलनाडु के मोदी” कहा जाता है, वहीं दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत बनाने में उनके योगदान को विशेष महत्व दिया जाता है।
प्रारंभिक जीवन व शिक्षा
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर, 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) परिवार में हुआ। उन्होंने वी.ओ. चिदंबरम कॉलेज, तुतिकोरिन से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) की डिग्री पूरी की। खेलों में गहरी रुचि रखने वाले राधाकृष्णन कॉलेज स्तर के टेबल टेनिस चैंपियन रहे और वे क्रिकेट व लंबी दूरी की दौड़ में भी सक्रिय रहे।
आरएसएस और राजनीति में प्रवेश
महज 16 वर्ष की उम्र से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक बन गए और 1973 के बाद से संघ व जनसंघ से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। इसी माध्यम से उनकी राजनीतिक यात्रा का विस्तार हुआ।
लोकसभा तक का सफर
1996 में भाजपा ने उन्हें तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया। इसके बाद 1998 और 1999 में वे कोयंबटूर संसदीय क्षेत्र से क्रमशः दो बार भाजपा सांसद चुने गए। यह राजनीतिक दौर उनके लिए स्वर्णिम था, हालांकि बाद के चुनावों (2004, 2014 और 2019) में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
19,000 किमी की रथयात्रा
2004 से 2007 तक वे भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहे। इस दौरान 2007 में उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर लंबी रथयात्रा निकाली, जिसमें उन्होंने नदियों को जोड़ने, आतंकवाद उन्मूलन, समान नागरिक संहिता, अस्पृश्यता निवारण और नशा-मुक्त भारत जैसे मुद्दों को लोगों तक पहुंचाया। दक्षिण भारत में भाजपा के जनाधार को मजबूत करने में यह यात्रा मील का पत्थर साबित हुई।
राज्यपाल का कार्यकाल
उपराष्ट्रपति पद की दावेदारी से पहले राधाकृष्णन कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। फरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। 31 जुलाई 2024 को वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए। इससे पूर्व 2016 से 2019 के दौरान वे अखिल भारतीय कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे और एमएसएमई को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत
2025 में उन्हें भाजपा‑एनडीए का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराकर यह जिम्मेदारी संभाली। उनकी जीत न सिर्फ भाजपा संगठन की मजबूती को जताती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि तमिलनाडु से आने वाले नेता को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक स्वीकार्यता मिली है।
उपराष्ट्रपति के रूप में चुनौती
देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में अब उनके सामने राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संवाद व संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी। उनके अनुभव, संगठनात्मक कौशल और दक्षिण भारत की राजनीतिक जड़ों से उन्हें इस दायित्व को निभाने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
छात्र जीवन से लेकर उपराष्ट्रपति पद तक सीपी राधाकृष्णन की यात्रा इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि संगठन, मेहनत और जनसंपर्क से राजनीतिक ऊँचाइयों तक पहुँचना संभव है। दक्षिण भारत से भाजपा को राष्ट्रीय राजनीति में पहचान दिलाने वाले इस नेता की अगली पारी अब लोकतंत्र की ऊपरी सदन की बागडोर संभालने में दिखाई देगी।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट