अमेरिकी नीतियों से खफा ईरान चाहता है भारत से पक्की दोस्ती, पाक नहीं देता भाव…
अमेरिकी नीतियों से खफा ईरान चाहता है भारत से पक्की दोस्ती, पाक नहीं देता भाव…
तेहरान, । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से पूरी दुनिया परेशान हो रही है। ईरान भी इसको लेकर काफी दिक्कतों को महसूस कर रहा है। ऐसे में ईरान भारत से नजदीकी रिश्ते और पाकिस्तान को अलग थलग रखने की कोशिश कर रहा है। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के संदेश से साफ पता चलता है कि ईरान ब्रिक्स देशों के संगठन में शामिल होना चाहता है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से ब्रिक्स में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। चीन उसकी मदद करना चाहता है लेकिन भारत इसके पक्ष में नहीं है। अगर ईरान को इस ग्रुप में एंट्री मिलती है तो ब्रिक्स एक फौलादी इकॉनामिक ताकत बन कर उभर सकता है। ब्रिक्स में शामिल देशों का दुनिया के कुल व्यापार में लगभग 18 प्रतिशत और कुल जीडीपी में 32 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा है। इसमें चीन सबसे आगे है। चीन का निर्यात 2023 में 13प्रतिशत बढ़ा और उसका बड़ा हिस्सा उसकी अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। चीन अब तक सस्ते में अपना सामान अमेरिका में ठेल रहा था लेकिन ट्रंप टैरिफ के बाद ऐसा मुश्किल लग रहा है। इसलिए उसकी कोशिश भारत और रूस के साथ रिश्ते बढ़ाने की है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार हाथी और ड्रैगन के बीच डांस की बात कर चुके हैं। उन्हें पता है कि बदले माहौल में भारत का बड़ा मार्केट उनके लिए संजीवनी है। चीन और रूस के बीच व्यापार 2023 में रिकॉर्ड 240 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। चीन रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है और रूस इलेक्ट्रॉनिक्स खरीद रहा है। भारत और रूस का व्यापार भी बढ़कर 45 बिलियन डॉलर हो गया है, जिसमें तेल और उर्वरक जैसे खनिज उत्पादों की अहम भूमिका है। ब्रिक्स देशों के आपस में भी व्यापार बढ़ा है। 2017 से 2022 के बीच यह 56 प्रतिशत बढ़ा और 614.8 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। ये देश अब पश्चिमी देशों पर कम निर्भर रहना चाहते हैं और आपस में मिलकर काम करना चाहते हैं। अमेरिका ने 2023 में ब्रिक्स देशों से करीब 578 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा। अब ये देश कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिकी डॉलर पर कम निर्भर रहें और अपनी खुद की मुद्राओं में व्यापार करें। जैसे 2023 में रूस ने अपने 53 प्रतिशत विदेशी लेन-देन चीनी युआन में किए। ये बदलाव इन देशों को और आत्मनिर्भर और एक-दूसरे के करीब ला रहे हैं।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट