सूरज आवै….

सूरज आवै….

-दीनदयाल शर्मा-

अगूणै पासै स्यूं जद सूरज आवै,
मधरी-मधरी चालै पून।
चूं -चूं चिड़कल्यां गीत सुणावै,
मिटज्यै च्यारूंमेर रौ मून।
खेतीखड़ सै खेत नै जावै,
गीत गांवता काडै टून।
गांवां री गुवाड़ सै गायब हुयगी,
बतळावण नै बणग्या फून।
रळमिल टाबर पोसाळां जावै,
पढ-लिख सुधारै मिनखाजून।।

(साभार: रचनाकार)

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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