फिल्म ‘बत्ती: अ बॉय हू ड्रेम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ हबिटैट फिल्म फेस्टिवल 2025 में होगी प्रदर्शित..

फिल्म ‘बत्ती: अ बॉय हू ड्रेम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ हबिटैट फिल्म फेस्टिवल 2025 में होगी प्रदर्शित..

मुंबई, 18 मई। निर्देशक जिगर नागदा की फिल्म ‘बत्ती: अ बॉय हू ड्रेम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ का प्रदर्शन हबिटैट फिल्म फेस्टिवल 2025 में होगा। यह फेस्टिवल 16 से 25 मई के बीच नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। फिल्म ‘बत्ती: अ बॉय हू ड्रेम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ का प्रदर्शन 22 मई को किया जाएगा।इस फिल्म को जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिल चुका है और 2024 में यह फिल्म इंडियन फिल्म फेस्टिवल स्टटगर्ट में भी प्रदर्शित हो चुकी है।

‘बत्ती: अ बॉय हू ड्रेम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ की कहानी भेरू नाम के एक आदिवासी लड़के पर आधारित है। भेरू भारत के एक ग्रामीण क्षेत्र में रहता है और अपने माता-पिता के साथ खेतों में काम करता है। घर में बिजली न होने के कारण न सिर्फ़ भेरू के विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिए जाते हैं, बल्कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जाती है।नौकरी की तलाश में भेरू शहर में जाता है, जहाँ उसे सोलर पावर के बारे में पता चलता है। इससे प्रेरित होकर वह अपने घर में सोलर पावर के माध्यम से बिजली लाने की ठान लेता है और कई मुश्किलों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुट जाता है।

इस फिल्म की पटकथा जिगर नागदा ने शुभम आमेटा के साथ मिलकर लिखी है। जिगर ने अपने करियर की शुरुआत अनुराग कश्यप, ओनिर और मनीष गुप्ता जैसे प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ सहायक निर्देशक के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने उदयपुर पिक्चर्स की स्थापना की, जिसके तहत उन्होंने कई फिल्में और डॉक्युमेंट्रीज़ बनाई हैं।

‘बत्ती: अ बॉय हू ड्रेम्ट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी’ जिगर की पहली फीचर फिल्म है। इस फिल्म के ज़रिए उन्होंने आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।इससे पहले जिगर ने ‘अरावली: द लॉस्ट माउंटेन्स’ नामक एक शॉर्ट डॉक्युमेंट्री बनाई थी, जो 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में प्रदर्शित हो चुकी है।

निर्देशक जिगर नागदा ने कहा,एक बार एक भारतीय गांव की यात्रा के दौरान, मेरी नज़र पहाड़ों पर स्थित एक घर पर जा रुकी – जहां न बिजली और न ही कोई आधुनिक सुविधा। फिर भी, उस घर में रहने वाले लोगों से मिलने के बाद मुझे ऐसा लगा कि वे अपने जीवन से संतुष्ट हैं। उनकी सादगी में एक गहराई थी, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया और इस फिल्म को बनाने की प्रेरणा दी।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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