समाज में असमानता तब बढ़ती है जब सत्ता उसे बढ़ने देती है: शोध…

समाज में असमानता तब बढ़ती है जब सत्ता उसे बढ़ने देती है: शोध…

लंदन, 20 अप्रैल । हाल ही में आई एक रिसर्च ने इस सोच कि अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी चीजें इंसानी समाज का हिस्सा हैं, को झूठा साबित कर दिया है। ताजा स्टडी में 10,000 साल पुरानी खुदाई और करीब 1,000 पुरानी बस्तियों का अध्ययन किया गया। अमेरिका, यूरोप, एशिया और मेसोअमेरिका की सभ्यताओं में किए गए इस शोध में वैज्ञानिकों ने 50,000 घरों की बनावट और आकार का विश्लेषण किया और बताया कि असमानता कैसे और कब पनपी। रिसर्च का आधार था घरों का आकार बड़े घर अमीरी के संकेतक माने गए और छोटे घर गरीबी के। इस अंतर को गिनी कोएफिशिएंट नामक मीट्रिक में बदला गया, जो 0 से 1 के बीच होता है। जहां 0 का मतलब सभी के पास बराबर संपत्ति होना है, वहीं 1 का मतलब सारी संपत्ति सिर्फ एक के पास होना। आज के समय में अमेरिका का स्कोर 0.41 है, जबकि नॉर्वे का 0.27। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से हजारों साल पुरानी कई सभ्यताओं में यह स्कोर बेहद कम था मतलब वहां बराबरी ज्यादा थी। रिसर्च का निष्कर्ष चौंकाने वाला था: समाज में असमानता तब बढ़ती है जब सत्ता उसे बढ़ने देती है। जहां लोगों ने मिल-बांट कर संपत्ति और संसाधनों का वितरण सुनिश्चित किया, वहां समानता बनी रही। एथेंस जैसी जगहों पर अमीरों को सार्वजनिक कामों का खर्च उठाने के लिए बाध्य किया जाता था।
कई जगह मृतक की संपत्ति गरीबों में बांट दी जाती थी, और कर्ज माफी जैसी व्यवस्थाएं थीं ताकि लोग गुलाम बनकर न मरें। यह धारणा भी गलत साबित हुई कि खेती शुरू होते ही असमानता पनपी। शोध में पाया गया कि कुछ कृषि आधारित समाजों में भी बराबरी बनी रही, जबकि कुछ शिकारी समाजों में भी असमानता देखी गई। असली फर्क इस बात से पड़ा कि समाज में नियम कौन बना रहा था और किस उद्देश्य से। यह स्टडी आज के उस सोच पर भी सवाल उठाती है जो कहती है कि गरीबी ‘किस्मत’ है या ‘सिस्टम ऐसा ही है’। असल में, यह सोच सत्ता में बैठे लोग फैलाते हैं ताकि वे अपनी ताकत और संसाधनों को बनाए रख सकें।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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