50 लाख साल पहले आई भयावह बाढ़ ने सूख चुके भूमध्य सागर को पानी से भर दिया : शोध…
50 लाख साल पहले आई भयावह बाढ़ ने सूख चुके भूमध्य सागर को पानी से भर दिया : शोध…

लंदन, । करीब 50 लाख साल पहले धरती पर एक ऐसी विनाशकारी घटना हुई, जिसने न सिर्फ भूगोल को बदल दिया बल्कि आज के भूमध्य सागर का जन्म को भी तय किया। वैज्ञानिकों के अनुसार तब भूमध्य सागर पूरी तरह सूख चुका था और यह इलाका एक विशाल, गर्म, सूखी और नमकीन घाटी जैसा था। अटलांटिक महासागर से संपर्क टूटने के कारण यहाँ का जल स्तर हजारों फीट नीचे चला गया और नमक की मोटी परतें समुद्र तल पर जम गई। इस सूखे काल को ‘मेसिनियन नमक संकट’ बताया गया। परंतु यह संकट तब खत्म हुआ जब अटलांटिक महासागर का पानी एक विशाल बाढ़ के रूप में घाटी में घुस आया।
इस बाढ़ को ज़ैंकलीन मेगाफ्लड के नाम जाना गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बाढ़ जिब्राल्टर की जगह से आई, जहां आज अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर आपस में मिलते हैं। बाढ़ की रफ्तार इतनी तेज थी कि पानी एक किलोमीटर ऊंची ढलान से गिरा और इसकी गति एक तेज रफ्तार कार से भी ज्यादा थी। इतना ही नहीं पानी ने अपने रास्ते में इतनी गहरी खाई बनाई, जितनी ऊंची आज की गगनचुंबी इमारतें होती हैं। इतना सारा पानी कुछ सालों या शायद कुछ महीनों में पूरे सूखे भूमध्य बेसिन को भर गया। जब यह बाढ़ चरम पर थी, तब इसमें अमेज़न नदी से करीब 1,000 गुना अधिक पानी बह रहा था।
2009 में वैज्ञानिकों ने बताया कि जिब्राल्टर के पास समुद्र के नीचे एक बड़ी घाटी का पता लगाया, जो शायद विशाल बाढ़ के कारण बनी थी। हाल ही में वैज्ञानिकों ने ज़ैंकलीन युग की तलछटी चट्टानों की जांच की, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि कैसे पानी ने सिसिली और अफ्रीका के बीच की जमीन को पार कर पूर्वी भूमध्य सागर को भी भरा। सिसिली के दक्षिणी हिस्से में वैज्ञानिकों ने असामान्य आकृतियों वाली पहाड़ियों का अध्ययन किया, जो वाशिंगटन (अमेरिका) में पिछली बर्फीली महाबाढ़ से बनी पहाड़ियों जैसी थीं। वहां मिली चट्टानें और कटाव इस बात का संकेत देती हैं कि यह इलाका भी एक भयानक बाढ़ से गुजरा था।
वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया कि पानी की रफ्तार 115 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती थी और यह 40 मीटर तक गहराई में जमीन को काटता हुआ बहा। एक अनुमान के अनुसार हर सेकंड 1 करोड़ 30 लाख क्यूबिक मीटर पानी इस बाढ़ में बह रहा था। यह आंकड़ा इसकी पुष्टि करता है कि यह पृथ्वी के इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ों में से एक रही होगी। इसने न केवल समुद्र का रूप बदला बल्कि जीव-जंतुओं की प्रजातियों पर भी गहरा असर डाला। भूमध्य सागर की आज की संरचना इसी घटना की देन है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट