17 जिले में बाढ़ से हाहाकार, 24 जिलों में भारी बारिश, वाराणसी और प्रयागराज में गंगा उफान पर….

17 जिले में बाढ़ से हाहाकार, 24 जिलों में भारी बारिश, वाराणसी और प्रयागराज में गंगा उफान पर….

लखनऊ, 04 अगस्त । उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के कारण गंगा, यमुना और बेतवा सहित प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और 17 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। राहत आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि यमुना औरैया, कालपी, हमीरपुर, प्रयागराज और बांदा में लाल निशान से ऊपर है। इसके अनुसार बेतवा नदी भी हमीरपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

राज्य में रविवार को 14.2 मिलीमीटर (मिमी) बारिश हुई और 24 जिलों में भारी बारिश हुई। इस समय राज्य के 13 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। इन जिलों में प्रयागराज, जालौन, औरैया, हमीरपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, कानपुर देहात, बलिया, बांदा, इटावा, फतेहपुर, कानपुर नगर और चित्रकूट शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी में सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे घाट जलमग्न हो गए और अधिकारियों को दाह संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान छतों और ऊंचे चबूतरों पर करने के आदेश देने पड़े। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, सोमवार सुबह तक गंगा नदी 72.1 मीटर के स्तर पर बह रही थी, जो खतरे के स्तर 71.262 मीटर से ऊपर है।

गंगा सेवा निधि के शिवम अग्रहरि ने कहा कि सभी घाट जलमग्न हो गए हैं, जिससे वहां पहुंचना अवरुद्ध हो गया है। दशाश्वमेध घाट पर प्रसिद्ध गंगा आरती अब छतों पर की जा रही है, जबकि मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर दाह संस्कार ऊंचे चबूतरों पर किए जा रहे हैं। जिले के अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर नदी में नावों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में गश्त कर रही हैं और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं। प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण शनिवार से गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 84.73 मीटर से ऊपर है, जिससे जिले के 200 से ज़्यादा गांव और शहर की लगभग 60 बस्तियां चपेट में आ गई हैं।

जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सोमवार सुबह 8 बजे नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 86.04 मीटर दर्ज किया गया, जबकि फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्तर 86.03 मीटर दर्ज किया गया। जिला प्रशासन ने शहर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के नागरिकों के लिए बाढ़ राहत शिविर केंद्र स्थापित किए हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ प्रभावित स्कूलों में शिक्षण कार्य स्थगित कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि शहर में सदर तहसील के अंतर्गत 107 वार्ड और मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा प्रमुख रूप से प्रभावित हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में फूलपुर तहसील के 18, सोरांव के आठ, मेजा के 12, बारा तहसील के आठ और हंडिया तहसील के छह गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।

सपा प्रमुख यादव ने बाढ़ की स्थिति को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में बाढ़ की बिगड़ती स्थिति को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हमला बोला और कहा कि ‘‘भ्रष्ट और विफल’’ सरकार जनकल्याण के बजाय ‘इवेंट मैनेजमेंट’ पर अधिक ध्यान दे रही है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट कर यादव ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार जब बड़े-बड़े लोगों की ‘सुपर वीवीआईपी’ रैली या सभा का आयोजन कर सकती है तो बाढ़ में राहत-बचाव का काम क्यों नही कर रही है? भाजपा सरकार एक भ्रष्ट और नाकाम सरकार साबित हुई है।’’

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार तक उत्तर प्रदेश में 37 तहसीलों के 402 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे 84,392 लोग प्रभावित हुए हैं। कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा और फतेहपुर सहित 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

यादव ने कहा, ‘‘प्रयागराज ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में बाढ़ की वजह से भयावह स्थिति है। भोजन और पीने के पानी की किल्लत चरम पर है। शौचालय की समस्या की वजह से लोग अशोभनीय-अमानवीय हालातों में रहने पर मजबूर हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि चिकित्सा सेवाएं चरमरा जाने के कारण बीमार बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को दवा-इलाज नहीं मिल पा रहा है।

स्वास्थ्य-चिकित्सा सेवाएं ठप्प हैं। यादव ने कहा, ‘‘चूहों और विषैले जीव-जंतुओं का डर लोगों को सोने नहीं दे रहा है। बिजली की समस्या और करंट का डर अलग से है। ऊपरी मंजिलों पर रहने के लिए मजबूर लोगों के बीच घर के धंसने का भी भय है। लोगों के घरों के सामान डूब गये हैं। लोगों के पास पहनने को कपड़े नहीं है। जो पहने हैं वो भी भीग गये हैं।

लोगों के मोबाइल चार्ज नहीं हो पा रहे हैं, जिससे लोगों के बीच संवाद नहीं हो पा रहा है।’’ सपा अध्यक्ष ने जल जनित बीमारियों को लेकर चिंता जताते हुए कहा, ‘‘बाढ़जन्य बीमारियों की आशंका से लोग ग्रसित हैं। कहा जाता है बाढ़ सिर्फ कीचड़, कचरा, मलबा और दुर्गंध ही नहीं बीमारी-महामारी को भी छोड़कर जाती है। जो लोग दैनिक कमाई पर जीवनयापन करते हैं वो काम पर नहीं जा पा रहे हैं।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कमजोर वर्गों की दुर्दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गरीब-मजदूर भुखमरी की कगार पर आ गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की खेती-जमीन पर पानी फिर गया है। दुकानों को अरबों रुपयों का नुकसान हो गया है। लोगों के पहचानपत्र, राशनकार्ड, जमीन-जायदाद के कागज, बैंक की पास बुक, शैक्षिक प्रमाणपत्र, बीमारी के पर्चे व अन्य जरूरी कागजात या तो भीगकर बर्बाद हो गये हैं या फिर बह गये हैं। लोगों के गाड़ी-वाहन डूब गये हैं।’’ यादव ने बच्चों की शिक्षा में व्यवधान और अंतिम संस्कार न कर पाने पर भी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों की शिक्षा का हनन हो रहा है। जिन लोगों का निधन हो रहा है उनके अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहे हैं।’’ सोमवार सुबह वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे घाट जलमग्न हो गए और अधिकारियों को दाह संस्कार एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को छतों और ऊंचे चबूतरों पर कराना पड़ा।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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