सेना को रूसी मदद के झूठे वादे, परिवार से छिपाई भागने की बात, जानें सीरिया में कैसे थे असद के आखिरी घंटे…

सेना को रूसी मदद के झूठे वादे, परिवार से छिपाई भागने की बात, जानें सीरिया में कैसे थे असद के आखिरी घंटे…

दमिश्क, । सीरिया में विद्रोहियों के अभियान शुरू करने के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद अपनी सत्ता नहीं बचा सके और रूस की मदद से भाग निकले। हालांकि, असद के अचानक भागने का पूरा घटनाक्रम इतना भी आसान नहीं रहा। खुद को बचाने और सैनिकों को युद्ध के मोर्चे पर झोंकने के लिए उन्हें सेना से बहाने बनाने पड़े। इतना ही नहीं अपने भागने की योजना उन्होंने करीबियों को ही नहीं, बल्कि अपने परिवार तक को नहीं बताई थी। इसका असर यह हुआ कि जब विद्रोही सेनाएं दमिश्क में घुसीं, तब असद के प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्रियों तक को आगे के कदम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी

खुद भाग निकले, सेना से बोला झूठ
विद्रोहियों की तरफ से दमिश्क की तरफ बढ़ने के साथ ही सीरिया में हलचल का माहौल रहा। बशर अल-असद की सरकार के लिए यह सबसे कठिन समय रहा। दरअसल, राष्ट्रपति असद ने इस दौरान अपनी अधिकतर बातें गुप्त रखीं और विद्रोहियों को रोकने की कोई योजना सेना के साथ साझा नहीं की। बताया जाता है कि अलेप्पो के बाद हमा और होम्स विद्रोहियों के कब्जे में आने के बाद असद अचानक ही रूस भाग निकले। वह यहां अपनी पत्नी के कैंसर के इलाज के लिए पहुंचे थे। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान उन्होंने अपनी सेना को कहा कि रूसी मदद जल्द ही पहुंचेगी। इसके चलते सैनिक लगातार इस भ्रम में रहे कि रूसी सैन्य मदद से विद्रोहियों को रोक लिया जाएगा।

सीरिया की जनता को संबोधित करने की थी तैयारी
बताया गया है कि विद्रोहियों के दमिश्क को घेरने से ठीक पहले बशर अल-असद को अंदाजा हो गया था कि उनका शासन अब कुछ ही दिनों तक चल सकता है। इसके चलते उन्होंने राष्ट्रपति भवन से राष्ट्र के नाम संबोधन की भी तैयारी की थी। असद के मीडिया सलाहकार को इस संबंध में एक भाषण तैयार करने के लिए कहा गया था। यह भाषण अगली सुबह दिया जाना था।

हालांकि, विद्रोही संगठनों के रात में ही दमिश्क में घुसने के साथ असद की सारी योजना धरी रह गई। असद, जिन्होंने भाषण देने की बात कही थी, ने फोन का जवाब देना बंद कर दिया। उनके मीडिया निदेशक की तरफ से भी जानकारी आना बंद हो गई। इसके चलते सेना के उच्च पदस्थ कमांडरों को भी आगे की कार्रवाई के लिए निर्देश मिलना बंद हो गए, जिससे सैनिक जहां-तहां अपनी पोस्ट छोड़कर भागने लगे। इसके चलते दमिश्क को विद्रोहियों ने बिना ज्यादा हिंसा के ही कब्जे में ले लिया।

परिवार से छिपाई देश छोड़कर भागने की योजना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब यह तय हो गया कि सीरिया में अब असद की सत्ता ज्यादा समय तक नहीं चलेगी, तब असद ने सीरिया से भागने की योजना बना ली थी। हालांकि, उन्होंने इसके बारे में किसी से भी चर्चा नहीं की। उन्होंने अपने करीबियों, अधिकारियों और अपने परिवार को भी भागने की योजना के बारे में कुछ नहीं बताया। अपने आगे के कदमों के बारे में वे सैन्य कमांडरों को भी झूठे दिलासे देते रहे। उन्होंने अपने मॉस्को दौरे के बाद अफसरों से कहा था कि रूसी मदद जल्द ही पहुंचेगी। हालांकि, यह सफेद झूठ साबित हुआ।

बशर अल-असद के देश छोड़कर भागने की योजना कितनी गुप्त थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके भाई माहेर, जो कि सीरियाई सेना की चौथी सशस्त्र डिवीजन का हिस्सा थे, उन्हें भी असद की योजना की जानकारी नहीं थी। वह बाद में इराक भाग निकले और वहां से रूस रवाना हुए। दूसरी तरफ असद के दो दूर के रिश्ते के भाई एहाब और एयाद मखलूफ को भी भागने की योजना में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन विद्रोहियों ने उन्हें ढूंढ कर हमला कर दिया। जहां एहाब की घटना में मौत हो गई, वहीं एयाद घायल हो गया।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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