सब के हो जाओगे…
सब के हो जाओगे…
डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण

जीवन तो है एक समंदर मेरे प्यारे,
जितने गहरे जाओगे,उतने ही मोती पाओगे।
प्रीत का मोती बड़ा अनूठा,
सारे जग को अपना कर दे।
जीवन के सूनेपन में ये,
इन्द्रधनुष की आभा भर दे
जीवन तो है बहती नदिया मेरे प्यारे,
जितनी प्यास बुझेगी,उतनी शांति पाओगे।
मीरा डूबी प्रेम-सिंधु में,
कृष्ण सरीखा मोती पाया।
तुलसी डूबे भक्ति-सिंधु में,
स्वयं राम ने ही अपनाया
जीवन तो है खिलती बगिया मेरे प्यारे,
जितने सुमन खिलेंगे, खुशबू तुम पाओगे
अहम् छोड़ तुम चुनो प्रीत को,
पा जाओगे अमृत जग में।
सबके पथ शूल चुनो तुम,
फूल मिलेंगे तुमको मग में
जीवन तो है पूर्ण समर्पण मेरे प्यारे,
सब को अपना मानो, सब के हो जाओगे
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट