रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग को खत्म करवाने में जुटे ट्रंप को नहीं मिल रही कामयाबी?
रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग को खत्म करवाने में जुटे ट्रंप को नहीं मिल रही कामयाबी?

वाशिंगटन, 21 अप्रैल बीते तीन सालों से रूस-यूक्रेन की जंग चल रही है। अमेरिका अपने कथित स्वार्थों को पूरा करते हुए यह जंग खत्म कराने के प्रयास कर रहा है। लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल रही है। माना जा रहा है कि ट्रंप इस डील से पीछे हट सकते हैं।अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने शुक्रवार को साफ शब्दों में कहा कि अगर यूक्रेन युद्ध खत्म करना मुमकिन नहीं लगता, तो अमेरिका ‘कुछ ही दिनों’ में इस प्रयास से हट सकता है। यह बयान पेरिस में यूरोपीय और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक के बाद आया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के हालिया बयान ने साफ कर दिया है कि अगर अगले कुछ दिनों में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, तो अमेरिका शांति प्रक्रिया से पीछे हट सकता है।
अमेरिकी प्रशासन के भीतर यह निराशा बढ़ती जा रही है कि पिछले कई महीनों की कोशिशों के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। ट्रंप प्रशासन ने एक शांति प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिका रूस के क्रीमिया पर नियंत्रण को मान्यता देने को तैयार है। यह वही क्रीमिया है, जिसे रूस ने 2014 में यूक्रेन से जबरन छीन लिया था। अगर यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो यह पुतिन के लिए एक बड़ी जीत होगी।दूसरी ओर, यूक्रेन को लेकर ट्रंप प्रशासन का रवैया अब और सख्त होता जा रहा है। ट्रंप ने यह भी साफ कर दिया कि अमेरिका यूक्रेन को अनंतकाल तक फंड नहीं कर सकता और यूरोपीय देशों को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी। मार्को रूबियो ने साफ तौर पर कहा, यह हमारी जंग नहीं है। हमने यूक्रेन की मदद की है, लेकिन अगर कोई हल नहीं निकलता, तो हम पीछे हट जाएंगे। ट्रंप की नजर में अब समय आ गया है कि दोनों पक्ष गंभीरता दिखाएं। अगर कोई पक्ष खेल खेलता रहा, तो ट्रंप साफ कहेंगे – तुम मूर्ख हो, तुम बेकार लोग हो – और फिर अमेरिका किनारा कर लेगा। ट्रंप ने सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि वह पूरी तरह से बातचीत छोड़ देंगे या यूक्रेन को सैन्य सहायता रोक देंगे, लेकिन उनका लहजा साफ था– अब और सब्र नहीं।
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय (क्रेमलिन) ने ट्रंप प्रशासन की चिंता को गंभीरता से लिया है। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हम समाधान की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत जटिल है। वहीं, रूस के सांसद एवगेनी पोपोव ने अमेरिकी बयान को कीव के लिए अंतिम चेतावनी बताया। इन कूटनीतिक गतिविधियों के बीच, जमीनी सच्चाई यह है कि रूस ने खारकीव शहर पर मिसाइल हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 67 घायल हो गए। इस हमले ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि शांति की कोशिशें अभी अधूरी हैं और युद्ध की आग बुझने से दूर है।अगर शांति वार्ता से अमेरिका अलग होता है, तो यूक्रेन की सैन्य क्षमता और यूरोप की तैयारी दोनों सवालों के घेरे में आ जाते हैं। यूरोप अभी भी फ्रंटलाइन पर हथियारों और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, और यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पहले से ही जर्जर है। इस स्थिति में, अमेरिका का हटना कीव के लिए एक कूटनीतिक झटका होगा।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट