“ये कांवड़ उठाने से कुछ नहीं होगा”..
“ये कांवड़ उठाने से कुछ नहीं होगा”..
-डॉ सत्यवान सौरभ-

कांवड़ उठाए घूम रहा है,
कंधों पे धर्म लादे जा रहा है,
गांव का होनहार मर गया,
माँ बेटे की राख छू रही है…
…और सरकार चुप है।
शिक्षक था बाप, फिर भी मौन रहा,
सिखा न सका—
कि आस्था नहीं, पढ़ाई बचाती है!
पर वो चुप रहा…
क्योंकि आस-पास मंदिर थे
और इलेक्शन नज़दीक था।
बच्चा बोझा नहीं समझ सका,
कांवड़ को भाग्य बना बैठा।
अंधी भीड़ में भक्ति जल गई
और देह भस्म हो गई…
अब स्कूल बंद हैं,
और ठेके खुले हुए।
कविता कहने वाले गुरु पे
एफआईआर है।
क्योंकि उसने कहा था—
“ये कांवड़ उठाने से कुछ नहीं होगा बेटा,
आईएएस बनने के लिए किताब उठानी पड़ती है।”
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट