प्रेम-पत्र..

प्रेम-पत्र..

-राधा श्रोत्रिय ‘आशा’

प्यार का पहला पत्र लिखने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही!
दिल के कोरे कागज पे,
अपनी प्रीत की स्याही से,
समझ ही नहीं आया कि
उनको क्या लिखें!
अजनबी लिखें या,
मनमीत लिखें!
पहले प्यार की पहली उड़ान,
नयी मंजिल राहें अंजान!
प्यार का पहला पत्र लिखने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही!
कैसे दिल का हाल लिखें,
उनकी चाहत में खुद,
को ही भूल गये!
शब्द होठों पे अटक गई,
लाख कोशिश की लफ़्ज,
कागज पे उतरे ही नहीं!
हाथ कंपकपां गये,
कलम हाथ से छूट गयी!
उनकी चाहत में ऐसे ड़ूबे,
उबरने में वक्त लगेगा ही!
प्यार का पहला पत्र लिखने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही!
दिल भर आया,
मन के भाव आंखों से,
बह निकले, और कागज में,
रच दृ बस गये!
हमने भी उठाया बड़े जतन से,
उन तक पहूंचा दिया!
उनको समझने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही!
प्यार का पहला पत्र लिखने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही!
जो हम न कह पाये,
शायद ये कागज का टुकड़ा,
कह पाये!
उनको हमारे दिल का हाल
समझने में,
कुछ तो वक्त लगेगा ही!
प्यार का पहला पत्र लिखने में.
कुछ तो वक्त लगेगा ही!

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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