खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मिली सेपक टकरॉ को जगह…

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में मिली सेपक टकरॉ को जगह…

पटना, 06 मई। सेपक टकरॉ को स्थानीय दर्शकों से मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया ने इसे पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी) में मेडल स्पोर्ट्स के रूप में शामिल करने के फैसले पूरी तरह उचित ठहराया है। हाल ही में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेपक टकरॉ महासंघ (आईएसटीएएफ) विश्व कप में भारतीय पुरुष रेगु टीम द्वारा ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने और 2018 जकार्ता एशियाई खेलों तथा 2022 हांगझोउ एशियाई खेलों में पदक जीतने के बाद से इस खेल को एक नए दृष्टिकोण से देखा जाने लगा है।

पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और केआईवाईजी बिहार 2025 के प्रतियोगिता प्रबंधक डॉ. करुणेश कुमार ने इसे भारत में इस खेल के लिए एक मील का पत्थर बताया कि इसका दीर्घकालिक प्रभाव होगा। उन्होंने बिहार राज्य खेल संघ (बीएसएसए) और राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेपक टकरॉ को मेडल स्पोर्ट्स के रूप में शामिल करना एक ऐतिहासिक क्षण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खेलों को बढ़ावा देने की दृष्टि ने खेलो इंडिया गेम्स को एक अलग पहचान दी है। इस ब्रांड के साथ जुड़ाव इस खेल को जमीनी स्तर पर और लोकप्रिय बनाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हम पहले ही राष्ट्रीय खेलों और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं, और अब यह कदम खेल की लोकप्रियता को और बढ़ाएगा।

यह खेल पारंपरिक रूप से पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ा रहा है, लेकिन कोविड महामारी के बाद बिहार में इसे 14 प्राथमिकता वाले खेलों में शामिल किया गया और तब से यह राज्य इस खेल में एक शक्ति केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है। कई जिलों में खिलाड़ियों की भागीदारी में तेजी आई है।

15 दिन की ट्रेनिंग प्रभावी रही
राज्य सरकार के प्रयासों को रेखांकित करते हुए डॉ. करुणेश कुमार ने कहा कि बड़े टूर्नामेंटों में भागीदारी से पहले कम से कम 15 दिनों के अनिवार्य प्रशिक्षण शिविर आयोजित करना एक प्रभावशाली कदम रहा है।

बिहार की टीमें 30 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर पूरी कर चुकी हैं और राज्य को उम्मीद है कि वह चारों आयोजनों में पदक जीतकर दिखाएगा। हालांकि भारतीय खेल प्राधिकरण (साईं) के प्रशिक्षण केंद्रों जैसी केंद्र सरकार की पहलें पहले ही इस खेल को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं, लेकिन इसे खेलो इंडिया कार्यक्रम में शामिल करने से यह देश के सबसे दूरदराज के हिस्सों तक भी पहुंचेगा।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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