“सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन” का शुभारंभ किया धनखड़ ने…
“सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन” का शुभारंभ किया धनखड़ ने…

नई दिल्ली/भोपाल, 13 अप्रैल । उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सम्राट विक्रमादित्य की गौरवगाथा को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यों के जरिए शासनकाल और भारत को गौरवांवित किया है।
श्री धनखड़ ने दिल्ली में शनिवार देर शाम लाल किला परिसर में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे। तीन दिवसीय इस आयोजन का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
श्री धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश की सांस्कृतिक चेतना के विकास में सम्राट विक्रमादित्य का अतुल्य योगदान रहा है। वे शासकों के लिए आज भी एक आदर्श हैं। वे बड़े ‘प्रजा वत्सल’ थे। उन्होंने शासकों को सिखाया कि एक राजा को किस तरह अपनी प्रजा की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपने शासनकाल में कला संस्कृति, साहित्य और विज्ञान के संरक्षण और संवर्धन से भारत राष्ट्र को समृद्ध किया।
श्री धनखड़ ने कहा कि हमारी संस्कृति एक मिसाल है कि भारतीय जीवन मूल्यों के साथ जीवन कितना सहज और सरल हो सकता है। भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में राष्ट्र के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में हमारा देश बदल रहा है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर अपने संबोधन में सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास का गौरवशाली काल बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को सहेजने और संवारने में विक्रमादित्य का अमिट योगदान है। उन्होंने सिर्फ़ शासन को सुशासन की व्यवस्था में बदला। वे अदम्य साहस, धीरता, वीरता और संवेदनशीलता के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी प्रजा को कर्जमुक्त किया। वे अनेकानेक गुणों से युक्त थे। गरीबों, लाचारों, वंचितों को उनका हक दिलाने की प्रेरणा हमें सम्राट विक्रमादित्य से ही मिलती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए सदैव स्तुत्य रहेंगे। उन्होंने हमें जनता की सेवा की सीख दी है। वे अपनी प्रजा का सुख-दुख जानने के लिए भेष बदलकर प्रजा के बीच जाते थे। उनकी यह संवेदनशीलता बताती है कि प्रजा के सुख में ही शासक का सुख है। उन्होंने कहा कि हमें अपने अतीत पर गर्व है और यह भावना हमें भावी पीढ़ी तक भी पहुंचानी है। देश की राजधानी दिल्ली में विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के मूल में हमारी यही मंशा है।
केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का आयोजन देश के इतिहास को जीवंत करने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक चेतना को भी सशक्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल भारत की सांस्कृतिक ऊंचाइयों का उत्कर्ष था। उनके शासन पर आधारित महानाट्य का मंचन विक्रमादित्य के उस स्वर्णिम युग का मंचन है।
रविवार 13 अप्रैल को आयोजित होने वाले महानाट्य के महामंचन में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा शामिल होंगे। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 14 अप्रैल को भी होगा। इसमें 250 कलाकार सम्राट विक्रमादित्य की जीवन गाथा को जीवंत कर रहे हैं। इस महानाट्य के दृश्यों को सजीव बनाने के लिए पालकी, रथ, घोड़ों और एलईडी ग्राफिक्स के “स्पेशल इफेक्ट” का प्रयोग किया गया है।
कार्यक्रम में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ की ओर से ‘विक्रमादित्यकालीन मुद्रा और मुद्रांक’ की प्रदर्शनी भी लगाई गयी है। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केंद्रित ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसमें 100 से अधिक ऋषियों के जीवन और योगदान को प्रदर्शित किया जा रहा है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट