फर्जी दस्तावेज से मुख्यमंत्री सहायता कोष से लिये 4.75 लाख रुपये, तीन चिकित्सकों पर मामला दर्ज…
फर्जी दस्तावेज से मुख्यमंत्री सहायता कोष से लिये 4.75 लाख रुपये, तीन चिकित्सकों पर मामला दर्ज…

ठाणे, 20 अप्रैल । महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक अस्पताल में दस्तावेज़ों और मरीजों के रिकॉर्ड में हेराफेरी कर मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से 4.75 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में तीन चिकित्सकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने शनिवार शाम जारी एक बयान में इस कथित अपराध को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि यह कोष आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के इलाज के लिए बनाया गया है और इस कोष का इस प्रकार दुरुपयोग चिंताजनक है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच अब आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यु) को सौंप दी गई है।
खडकपाडा पुलिस थाने के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 471 (जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल) और अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत 17 अप्रैल को यह मामला दर्ज किया गया। यह घोटाला मई से जुलाई 2023 के बीच किया गया था।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि आरोपी डॉ. अनुदुर्ग धोणे (45), डॉ. प्रदीप बापू पाटिल (41) और डॉ. ईश्वर पवार ने अंबिवली, मोहने स्थित गणपति अस्पताल में 13 काल्पनिक मरीजों के फर्जी भर्ती और उपचार रिकॉर्ड तैयार किए।
बयान में कहा गया कि इन काल्पनिक मरीजों के इलाज और ऑपरेशन के फर्जी दस्तावेज बनाकर मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से 4.75 लाख रुपये की राशि प्राप्त की गई।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘आरोपियों ने काल्पनिक मरीजों के इलाज के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों में ऑपरेशन और उपचार के रिकॉर्ड शामिल थे।’
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, यह घोटाला 11 जुलाई 2023 को तब सामने आया जब दो प्रमुख मामलों में अनियमितताएं पाई गईं। इन मामलों में ‘अरविंद सोलखी’ के मस्तिष्क रोग के इलाज के लिए 3.7 लाख रुपये और ‘भगवान भडाने’ के इलाज के लिए 3.1 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई थी।
हालांकि, जांच में पाया गया कि जिन अस्पतालों में मरीजों को भर्ती बताया गया था, वे अस्पताल अलग थे।
जब अधिकारी ‘गणपति अस्पताल’ पहुंचे तो अस्पताल की हालत बेहद खराब पाई गई। यहां भडाने को भर्ती किए जाने का दावा किया गया था।
बयान में कहा गया कि जब चिकित्सक धोणे से दस्तावेज़ दिखाने को कहा गया, तो वह स्कूल से बच्चे को लाने का बहाना बनाकर मौके से भाग निकले।
बाद में, 17 जुलाई 2023 को जब डॉ. धोणे को मुख्यमंत्री सचिवालय में बुलाया गया, तो वह वहां भी उपस्थित नहीं हुए।
उन्होंने अपने बयान में डॉ. पवार और डॉ. पाटिल को इस फर्जीवाड़े में सहयोगी बताया, जिन्होंने अस्पताल को सरकारी पैनल में शामिल कराने में मदद की थी।
बयान में आगे कहा गया, ‘सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि आवेदनों में दिए गए संपर्क नंबर मरीजों या उनके परिजनों के नहीं, बल्कि पवार और पाटिल के निकले।’
मुख्यमंत्री राहत कोष प्रकोष्ठ के प्रमुख रामेश्वर नाइक ने कहा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का दुरुपयोग करने वालों के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति अपनाई जाएगी।
नाइक ने कहा, ‘दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट