हर घर नल और जल की प्रासंगिकता
हर घर नल और जल की प्रासंगिकता
15वें वित्त आयोग में सरकार ने गांव की पंचायतों को 1.73 लाख करोड़ रुपए की राशि 5 वर्षों में स्वच्छ पानी की व्यवस्था के लिए आवंटित करने का प्रावधान किया है। पहाड़ में पानी की अपनी समस्याएं हैं। ग्रामीण इलाकों में भौगोलिक दृष्टि को देखते हुए हर घर पानी पहुंचाना बहुत जटिल कार्य होता है। पानी के वितरण में भी कई परेशानियां आती हैं। सर्दियों में यह काम कम तापमान की वजह से और भी कठिन हो जाता है। लेकिन हिमाचल में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार प्रदेश के सभी घरों में जुलाई 2022 तक नल से जल की व्यवस्था हो जाएगी। हिमाचल शायद देश का पहला राज्य होगा जो पूरी तरह से अपने नागरिकों को स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करवाने में सफल रहेगा। लेकिन पहाड़ों में आने वाले समय में पर्यावरण असंतुलन को देखते हुए पानी की कमी हो सकती है। पानी की बचत और सही प्रयोग के लिए योजनाएं बनानी होंगी…
स्वच्छ पीने का पानी हर नागरिक की मूलभूत आवश्यकता और अधिकार है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में प्रगति की दिशा में बहुत बदलाव आए, लेकिन बहुत सी मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं दिया गया। शहरों को छोड़ कर देश की अधिकतर आबादी जो गांव में रहती है, को पीने का पानी कुओं, बावडि़यों, नहर, नदी, कूहल, रहट और पानी के दूसरे स्रोतों से लेना पड़ा। कई बार तो मीलों चल कर घड़ों और गागरों में पानी सिर पर रख कर लाना पड़ता था। महिलाओं और बढ़ते बच्चों ने इस काम में एक विशेष भूमिका अदा की। परिवार में उनके इस योगदान को कभी नकारा नहीं जा सकता। पहाड़ में यह ज्यादा कठिन था क्योंकि जल स्रोत दूरी पर होते थे, वहां से पानी लाना पड़ता था। 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने ‘जल जीवन मिशन’ की स्थापना की घोषणा की जिसका कार्य 2024 तक देश के सभी घरों में स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है। 15 अगस्त 2019 को देश में लगभग 19 करोड़ घरों में पानी की व्यवस्था करने की आवश्यकता थी। केवल 3 करोड़ 23 लाख घरों में पानी का प्रावधान हो पाया था, बाकी के लिए जल का कोई साधन नहीं था। दूर से पीने का पानी लाना पड़ता था।
बहुत सी सामाजिक विषमताओं के कारण पानी को लेकर गांव-देहात में कई अप्रिय घटनाएं भी सुनने में आती हैं। 2021-22 के केंद्रीय बजट में 50 हज़ार करोड़ रुपए की धनराशि, देश के शहरी हिस्सों में जहां पानी और नल की व्यवस्था नहीं है, यह राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया। 2021 नवंबर तक घरों की संख्या 19.22 करोड़ हो गई जिनमें से 8.59 करोड़ घरों को नल से जल की सुविधा प्रदान करवा दी गई। जल जीवन मिशन के कार्यक्रम ‘हर घर नल से जल’ के लिए सरकार ने 2022-23 के बजट में 60 हज़ार करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की है ताकि लोगों को पीने के पानी के लिए दूर न जाना पड़े, उनके घर में ही नल से पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध हो। सरकार ने 2024 तक देश के प्रत्येक घर में नल से जल की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखा है।
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अगर आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो देश में अभी भी 12 करोड़ लोगों के घरों में नल से जल की व्यवस्था नहीं है। पीने का स्वच्छ पानी न मिलने की वजह से गंदे पानी से होने वाली बीमारियां कई बार भयंकर रूप धारण कर लेती हैं और कई लोगों को पानी की अशुद्धता के चलते जीवन से हाथ धोने पड़ते हैं। यद्यपि 1986 में राष्ट्रीय पेयजल मिशन की स्थापना की गई थी, 1991 में इसका नाम बदल कर राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन रख दिया गया और गांव-देहात तथा शहरों में नल से जल की सुविधा का कार्य किया जाने लगा। 15वें वित्त आयोग में सरकार ने गांव की पंचायतों को 1.73 लाख करोड़ रुपए की राशि 5 वर्षों में स्वच्छ पानी की व्यवस्था के लिए आवंटित करने का प्रावधान किया है। पहाड़ में पानी की अपनी समस्याएं हैं। ग्रामीण इलाकों में भौगोलिक दृष्टि को देखते हुए हर घर पानी पहुंचाना बहुत जटिल कार्य होता है। पानी के वितरण में भी कई परेशानियां आती हैं।
सर्दियों में यह काम कम तापमान की वजह से और भी कठिन हो जाता है। लेकिन हिमाचल में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार प्रदेश के सभी घरों में जुलाई 2022 तक नल से जल की व्यवस्था हो जाएगी। हिमाचल शायद देश का पहला राज्य होगा जो पूरी तरह से अपने नागरिकों को स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करवाने में सफल रहेगा। लेकिन पहाड़ों में आने वाले समय में पर्यावरण असंतुलन को देखते हुए पानी की कमी हो सकती है। पानी की बचत और सही प्रयोग के लिए योजनाएं बनानी होंगी। वर्षा जल संचयन की ओर विशेष ध्यान देना होगा। देश के कई राज्यों, विशेषकर राजस्थान में वर्षा जल संचयन के प्रति वहां के नागरिक बहुत जागरूक हैं। घरों में भूतल में बड़े पानी के टैंक्स और भंडारण की व्यवस्था की गई है। फिर उस पानी का प्रयोग सारे साल मवेशियों और घर के दूसरे कामकाज में किया जाता है।
हिमाचल में भी बड़े स्तर पर वर्षा जल संचयन के बारे में जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है। ऊंचे स्थानों पर टैंक बनाने के लिए सरकार ग्रामीणों को आर्थिक अनुदान दे सकती है। अगर हिमाचल के दूरदराज के क्षेत्र के लोग अपने घरों के बाहर ऊंचाई पर यह पानी टैंक में इकट्ठा कर पाएं तो पीने के स्वच्छ पानी की बचत की जा सकती है। विश्व में 97 प्रतिशत खारा पानी है। केवल 3 प्रतिशत पानी पीने योग्य है। हमें पानी की एक-एक बूंद बचानी होगी, हर घर जल से और हर घर नल से। अगर हम आज पेयजल की बूंद-बूंद को नहीं बचाते हैं, तो भविष्य में हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। बेहतर भविष्य के लिए यह जरूरी है कि हम आज ही पानी की बचत करें। पहले के समय में गांवों में पेयजल स्रोतों का लोग खुद संरक्षण करते थे, लेकिन आज ये सब बातें पुरानी हो गई हैं। पहले की तरह लोगों को आगे आकर पेयजल स्रोतों का खुद संरक्षण करना है, तभी हम भावी संकट से बच पाएंगे। सरकार लोगों को जागरूक करे।
(स्वतंत्र लेखक)
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