महागठबंधन तोड़ने के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं
बिहार में महागठबंधन तोड़ने के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं
नई दिल्ली, 02 नवंबर। उपचुनाव के नतीजों के शुरूआती संकेत कांग्रेस के लिए जहां हिमाचल-प्रदेश और कर्नाटक से अच्छे संकेत हैं, वहीं बिहार कांग्रेस के लिए अच्छे साबित नहीं हुए। बिहार की जिस कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीट को कांग्रेस अपनी सीट बताती रही है वहां चौथे राउंड के बाद उसके उम्मीदवार चौथे नम्बर पर रहे।
गौरतलब है कि मंगलवार को जिन दो सीटों पर बिहार विधानसभा उपचुनाव के नतीजे सामने आ रहे हैं। कुशेश्वरस्थान और तारापुर इन्हीं दो सीटों के उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का राज्य में गठबंधन टूट गया। बिहार में पिछला विधानसभा चुनाव आरजेडी और कांग्रेस ने गठबंधन में लड़ा था लेकिन इस बार उपचुनाव में ये गठबंधन टूट गया।
पहले आरजेडी ने उपचुनाव की दोनों सीटों-कुशेश्वरस्थान और तारापुर पर उम्मीदवार उतार दिए, जिसके बाद कांग्रेस ने भी आरजेडी के खिलाफ अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए। उपचुनाव में बिहार की कुशेश्वरस्थान सीट से कांग्रेस ने अतिरेक कुमार और तारापुर विधानसभा सीट से राजेश कुमार उम्मीदवार बनाया है। जिसके साथ ही ये तय हो गया था कि बिहार में महागठबंधन अब एकजुट होकर नहीं बल्कि आपस में ही मुकाबला करेंगे।
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अब मंगलवार को आये नतीजों की बात करें तो चौथे राउंड की गिनती में आरजेडी 2250 मतों से आगे रहे। राजक के अरुण कुमार को 12624 मत मिले हैं, दूसरे स्थान पर 10374 मतों के साथ जनता दल यूनाइटेड के राजीव कुमार। तारापुर में कांटे की लड़ाई जारी है। वहीं बिहार की जिस कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट को कांग्रेस अपनी सीट बताती रही है वहां चौथे राउंड के बाद उसके उम्मीदवार चौथे नम्बर पर हैं। चौथे राउंड तीसरे नम्बर पर चिराग पासवान की पार्टी रही। जेडीयू दूसरे और आरजेडी पहले नम्बर पर रही। साफ है कि इन्हीं दो सीटों को लेकर आरजेडी-कांग्रेस का गठबंधन टूटा था।
तमाम राजनीतिक पार्टियों ने बिहार उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। मानो इन दो सीटों से सरकार बननी और बिगड़नी है। सियासी जानकारों की नजरों में इस चुनाव में कुछ ऐसे समीकरण हैं जो आने वाले समय में बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष कर आरजेडी के तेजस्वी यादव और कांग्रेस पार्टी के लिए भी चुनाव परिणाम काफी असर डालने वाला होगा। वहीं, भाजपा और चिराग पासवान की पार्टी के लिए भी चुनाव परिणामों का काफी असर पड़ेगा। इन सबके बीच इस उपचुनाव के परिणाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सबसे अधिक अहम माने जा रहे हैं।
दरअसल जेडीयू के लिए दोनों सीट बेहद प्रतिष्ठा वाली सीट बन गई है। क्योंकि, पार्टी को पता है कि बहुमत का फासला बेहद कम है। अगर जदयू को हार मिलती है तो उसका आने वाले समय में सरकार पर भी इसका असर पड़ सकता है।
वहीं दूसरी ओर उपचुनाव के नतीजों में उपचुनाव नतीजों में कांग्रेस के लिए हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक से अच्छे संकेत हैं। हिमाचल में मंडी लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस आगे है, एक विधानसभा सीट पर निर्दलीय आगे है जो बीजेपी का बागी है। कर्नाटक में मुख्यमंत्री के इलाके की विधानसभा सीट पर कांग्रेस आगे है।
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