ब्रह्मचर्य (कविता)
ब्रह्मचर्य (कविता)
-अनिल कुमार-
आओ बच्चों तुम्हें समझाएं ब्रह्मचर्य का विज्ञान
चार आश्रमों में प्रथम है यह ब्रम्हचर्य का स्थान,
आश्रम व्यवस्था है सफल जीवन का आधार
प्रथम आश्रम ब्रम्हचर्य यह सफलता का द्वार।
संतुलन व अनुशासन से करना ज्ञान अर्जन
सफलता की नींव है यह ऋषियों का चिंतन,
माना आज जमाना है आधुनिक व यांत्रिक
पर ब्रम्हचर्य है बहुत आवश्यक व वैज्ञानिक।
चाहिए यदि सुख, सफलता व संतुष्टि भरा जीवन
पालन करो ब्रम्हचर्य का जैसे बतलाएं गुरूजन,
अपने माता -पिता और गुरूओं से जानो इसको
जल्दी से अमल करो उनके बतलाए अनुभव को।
ब्रम्हचर्य का सरल अर्थ ब्रम्ह (ईश्वर) का आश्रय
बनेगा शरीर बलवान और समझोगे हर विषय,
भोग-विलास से दूर रहना तन मन से यह जानो
जीवन की सफलता का मूलाधार है यह मानो।
सफल तुम्हारा जीवन होगा ब्रम्हचर्य पालन करो
आधुनिकता की दौड़ में विवेक का न त्याग करो,
हमारे देश की जलवायु में ब्रम्हचर्य है आवश्यक
आधुनिकता के चमक में न जाना कभी भटक।
सादगी से रहना व खुद को दुर्गूणों से बचाना
इतना कर पाए तो जीवन सफल होगा देखना,
भगवान श्री राम और श्री कृष्ण थे ब्रम्हचारी
जगद्गगुरू शंकराचार्य व हनुमान भी ब्रम्हचारी।
आधुनिक काल में विवेकानंद व बिनोवा
बदल दिया जिन्होंने पश्चिमी जहरीली हवा,
छात्रों से देश की आशाएं बहुत हैं बनो सफल
ऐसे काम करो जग में कि युग भी जाए बदल।
बड़ों के अनुभव से सीखना है सही समझदारी
दुर्जेनों की बातें लगती हैं सरल और बड़ी प्यारी,
भटके राह एक बार भी तो दुख बहुत मिलेगा
सम्हलने में बहुत लंबा सफर तय करना पड़ेगा।
होता है बुरा काम करना बहुत सरल जग में
परिणाम निश्चित दुखमय होगा न रहो भ्रम में,
ब्रम्हचर्य ही बचाएगा तुम्हें बुरे रास्तों पर जाने से
ज्ञान करता है काम व्यवहार में अमल करने से।
बृहस्पति पुत्र कच ने ब्रम्हचर्य का पालन किया
तभी शुक्राचार्य ने मृतसंजीवनी का ज्ञान दिया,
उनकी पुत्री से रखा था केवल संतुलित व्यवहार
ब्रम्हचारी होने से ही बृहस्पति ने किया स्वीकार।।
(रचनाकार से साभार प्रकाशित)
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