दिल्ली दंगे: विधानसभा समिति ने फेसबुक से तीन महीने का रिकॉर्ड पेश करने को कहा

दिल्ली दंगे: विधानसभा समिति ने फेसबुक से तीन महीने का रिकॉर्ड पेश करने को कहा

नई दिल्ली, 18 नवंबर। दिल्ली विधानसभा की एक समिति ने बृहस्पतिवार को ‘फेसबुक इंडिया’ से कहा कि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों से एक महीने पहले और दो महीने बाद फेसबुक पर डाली गई सामग्री पर उपयोगकर्ताओं की रिपोर्ट (शिकायत) के रिकॉर्ड पेश करे।

विधानसभा की शांति और समरसता समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने फेसबुक इंडिया (मेटा प्लेटफॉर्म्स) के ‘पब्लिक पालिसी’ निदेशक शिवनाथ ठुकराल के आवेदन पर सुनवाई के बाद रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा। चड्ढा ने फेसबुक के अधिकारी से कंपनी की संगठन संरचना, शिकायत सुनने की व्यवस्था, सामुदायिक मानकों और घृणा पैदा करने वाले पोस्ट की परिभाषा के बारे में भी पूछा।

ठुकराल ने कहा कि फेसबुक कोई कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसी एजेंसियों से सहयोग करती है। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, “जब असल दुनिया में घटनाएं होती हैं तो वे हमारे मंच पर भी दिखाई देती हैं। हम अपने मंच पर घृणा का प्रसार नहीं चाहते। कुछ बुरे लोग हैं जिनके विरुद्ध कार्रवाई करने की जरूरत है।” ठुकराल ने कहा कि फेसबुक में सामग्री प्रबंधन पर काम करने के लिए 40 हजार लोग हैं जिसमें से 15 हजार लोग सामग्री में संशोधन करते हैं।

सामुदायिक मानकों के विरुद्ध सामग्री पाए जाने पर वह मंच से तत्काल हटा ली जाती है। समिति ने गलत, भड़काऊ और बुरी नीयत से भेजे गए संदेशों पर लगाम लगाने में सोशल मीडिया मंचों की अहम भूमिका पर विचार रखने के लिए फेसबुक इंडिया को तलब किया था। डिजिटल सुनवाई की अनुमति के आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए, उच्च न्यायालय

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

सर्दी ने दी दस्तक, कई जगह बारिश

नई दिल्ली, 18 नवंबर (वेब वार्ता)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सभी निचली अदालतों को निर्देश दिया कि संबंधित पक्षों के आग्रह पर हाइब्रिड या डिजिटल सुनवाई की अनुमति के इसके आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायिक अधिकारी इसकी अवलेहना नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सभी जिला अदालतें इसके आदेश का पालन करने के लिए बाध्य हैं। पीठ उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन से जुड़े एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, ‘‘जब आदेश पारित किया जाता है (उच्च न्यायालय द्वारा) तो ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई न्यायिक अधिकारी कहे कि वह अपना रास्ता चुनेगा।’’ पीठ में न्यायमूर्ति जसमीत सिंह भी शामिल थे।

अदालत ने आदेश दिया, ‘‘जिला अदालतों में मामलों की सुनवाई के बारे में उच्च न्यायालय पहले ही निर्देश जारी कर चुका है। हम स्पष्ट करते हैं कि दिल्ली के सभी जिलों के तहत आने वाले सभी अधीनस्थ अदालतों को इसका पालन करना होगा। ऐसा नहीं हो सकता कि कोई न्यायिक अधिकारी उक्त आदेश का पालन करने का निर्णय नहीं करता है और उनके समक्ष सूचीबद्ध मामले में हाइब्रिड सुनवाई के आग्रह से इंकार करता है। इसलिए हम सभी अधीनस्थ अदालतों को निर्देश देते हैं कि आदेशों का कड़ाई से पालन करें।’’

उच्च न्यायालय ने 12 अगस्त को जारी आदेश में कहा था कि अदालत में प्रत्यक्ष सुनवाई के दिन भी किसी पक्ष के आग्रह पर निचली अदालतें हाइब्रिड या वीडियो कांफ्रेंस से सुनवाई को अनुमति देंगी। 29 अक्टूबर को जारी आदेश में भी कहा गया कि निचली अदालतें किसी पक्ष के आग्रह पर हाइब्रिड/वीडियो कांफ्रेंस सुनवाई को अनुमति देंगी।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

सर्दी ने दी दस्तक, कई जगह बारिश

Related Articles

Back to top button