ऑफबीट कोर्स में भरपूर संभावनाएं

ऑफबीट कोर्स में भरपूर संभावनाएं

आजकल तमाम ऐसे ऑफबीट कोर्स है, जिनमें करियर की भरपूर संभावनाएं मौजूद हैं। वैसे भी आजकल स्टूडेंट्स कुछ अलग और हट कर करना चाहते हैं। इसीलिए उनका रुझान आम कोर्स से हटकर ऑफबीट और नए कोर्सों के प्रति तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि ये नए और ऑफबीट कोर्स हैं, इसलिए इन कोर्स को पूरा करने के बाद जॉब भी आसानी से मिल जाती है। क्या आप भी चाहेंगे कुछ अलग करना…!

क्लिनिकल इंजीनियरिंग

यदि आप दस साल पहले और आज के हॉस्पिटल्स की तुलना करें, तो इन दिनों हॉस्पिटल्स में मॉडर्न इक्वीपमेंट और तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा होने लगा है। ऐसी स्थिति में क्लिनिकल इंजीनियर के लिए आज बेहतर स्कोप देखा जा रहा है। इनका प्राइमरी कार्य इक्वीपमेंट मैनेजमेंट से जुड़ा होता है। साथ ही, मेडिकल टेक्नोलॉजी के डेवलॅपमेंट में भी इनका अहम योगदान होता है। बीई/बीटेक ग्रेजुएट क्लिनिकल इंजीनियरिंग में एमटेक कोर्स कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए गेट स्कोर जरूरी है। कोर्स करने के बाद हॉस्पिटल्स, मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री आदि में नौकरी मिल सकती है। क्लिनिकल इंजीनियर की सालाना सैलॅरी सात से 10 लाख के करीब होती है।

फायर सेफ्टी कोर्स

भारत में पिछले कुछ दशकों से औद्योगिकरण और बढ़ती हुई जनसंख्या की वजह से फायर सेफ्टी एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है। क्योंकि इसकी वजह से जान-माल की हानि भी खूब होती है। यही वजह है कि फायर प्रोटेक्शन के लिए ट्रेंड प्रोफेशनल की डिमांड इन दिनों खूब है। इसे देखते हुए ही कॉलेज ऑफ फायर टेक्नोलॉजी गुजरात (भारत की पहली फायर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) ने बीएससी इन फायर कोर्स ऑफर किया है। यहां आप स्पेशलाइज्ड फायरमैन ऐंड सेफ्टी और सिक्योरिटी कोर्स भी कर सकते हैं। इस सेक्टर से जुड़े स्टूडेंट के लिए प्लेसमेंट कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि कोर्स करने के बाद आपको गवर्नमेंट और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी मिल सकती है। गवर्नमेंट सेक्टर में डिफेंस, रेलवे, ओएनजीसी, रिफाइनरिज, गैस प्लांट आदि में प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है। इस क्षेत्र में शुरुआती सैलॅरी करीब आठ से 15 हजार रुपये प्रति माह होती है।

फैशन कम्युनिकेशन

इन दिनों फॉरेन और डोमेस्टिक ब्रांड की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। इसलिए कंपनियां लोगों को लुभाने के लिए यूनीक ब्रांड आइडेंटिटीज डेवलॅप करती है और इसके लिए जरूरत होती है फैशन कम्युनिकेशन प्रोफेशनल्स की। वैसे, फैशन कम्युनिकेशन प्रोग्राम उन लोगों को बेहतरीन मौका उपलब्ध करवाता है, जो अपना करियर फैशन बिजनेस, रिटेल मर्चेंडाइजिंग, कम्युनिकेशन फील्ड जर्नलिज्म, टेलीविजन, इवेंट मैनेजमेंट आदि में बनाना चाहते हैं। इस कोर्स में आप बेसिक ऑफ डिजाइन, टेक्निकल ड्राईंग, फैशन स्टडीज, पिं्रसिपल ऑफ मार्केटिंग, फैशन स्टाइल, फैशन जर्नलिज्म और पोर्टफोलियो डेवलॅपमेेंट के बारे में बताया जाता है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद स्टूडेंट मार्केटिंग, मैनेजमेंट, एंट्रप्रॅन्योरशिप, ब्रोडकास्ट प्रोडक्शन, फैशन जर्नलिज्म, विजुअॅल मर्चेंडाइजिंग आदि फील्ड में जॉब तलाश सकते हैं। 12वीं के बाद आप फैशन कम्युनिकेशन कोर्स में एंट्री ले सकते हैं।

एंवायरनमेंटल साइंस

पर्यावरण के प्रति बढ़ती चेतना या यू कहें की जागरूकता की वजह से एंवायरनमेंटल साइंस बेहतरीन करियर ऑप्शन के रूप में उभरा है। खास बात यह है कि इस कोर्स से जुड़े लोगों के लिए इन दिनों देश-विदेश में रोजगार की कोई कमी नहीं है। क्योंकि पूरी दुनिया पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही है। आज कई ऐसे इंस्टीट्यूट और कॉलेज हैं, जो एंवायरनमेंटल साइंस में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स ऑफर कर रहे हैं। आप चाहें, तो एंवायरनमेंटल मैनेजमेंट और साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। 12वीं साइंस सब्जेक्ट से पासआउट स्टूडेंट बीएसएसी एंवायरनमेंटल साइंस में एंट्री ले सकते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद सेंट्रल ऐंड स्टेट पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में भी कार्य कर सकते हैं। एंवायरनमेंटल साइंस में इंजीनियरिंग और बीई करने वाले स्टूडेंट को शुरुआती दौर में 15 से 30 हजार रुपये प्रति माह सैलॅरी मिलने लगती है।

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मेडिकल टूरिज्म

भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर की मजबूत स्थिति और बेहतर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण मेडिकल टूरिज्म की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है, क्योंकि भारत में दूसरे विकसित देशों की तुलना में इलाज काफी सस्ता है। वैसे, लोगों को भारत की आयुर्वेदिक थेरेपी, नेचुरल थेरेपी आदि जैसे प्राकृतिक इलाज के साथ-साथ भारत की आधुनिक इलाज की खूब लुभा रहा है। यही वजह है कि प्रति वर्ष करीब एक लाख मेडिकल टूरिस्ट भारत आते हैं। मैकिंजे-सीआईआई रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल टूरिज्म का मार्केट वर्ष 2012 तक 2 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है। मेडिकल टूरिज्म के बढ़ते बाजार और प्रोफेशनल्स की कमी को देखते हुए ही इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल रिसर्च ने मेडिकल टूरिज्म में मास्टर प्रोग्राम कोर्स की शुरुआत की है। मेडिकल टूरिज्म से जुड़े लोगों की शुरुआती सैलॅरी तीन से चार लाख रुपये के बीच होती है।

पब्लिक हेल्थ

मैकिंजे की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष करीब 10 हजार पब्लिक हेल्थ ऑफिसर्स की डिमांड है। हालांकि इस क्षेत्र में अभी भी डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर है। देश में प्रति वर्ष करीब 300 से 400 लोग ही पब्लिक हेल्थ ऑफिसर बन पाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कुछ इंस्टीट्यूट ने इससे जुड़े कोर्स की शुरुआत की है। बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पिलानी ने मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ (एमपीएच) कोर्स शुरू की है। इस प्रोग्राम के तहत स्टूडेंट्स को कम्युनिटी डाइग्नोसिस, कम्युनिटी हेल्थ, डेवलॅपमेंट ऐंड एम्प्लिमेंटेशन ऑफ पब्लिक हेल्थ पॉलिसी आदि के बारे में बताया जाता है। बीएसएसी (लाइफ साइंस, नर्सिंग आदि), एमबीबीएस, बीडीएस आदि से जुड़े स्टूडेंट्स इस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कोर्स करने के बाद हॉस्पिटल्स, गवर्नमेंट हेल्थ सर्विस, नॉन गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन आदि में जॉब मिल जाती है। आमतौर पर पब्लिक हेल्थ ऑफिसर्स की सालाना सैलॅरी तीन से पांच लाख रुपये होती है।

म्यूजिकल फील्ड

तमाम टेलीविजन चैनल्स पर हो रहे म्यूजिकल टैलॅन्ट हंट शो के प्रति युवाओं का उत्साह आज देखते ही बनता है। कुछ वर्ष पहले तक म्यूजिक को हॉबी या पार्ट-टाइम के रूप में ही अपनाया जाता था, लेकिन मनोरंजन की दुनिया में आई क्रांति के कारण इस क्षेत्र के प्रति युवाओं में जबर्दस्त क्रेज देखा जाने लगा है। खास बात यह है कि ग्लोबल म्यूजिक इंडस्ट्री आज वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से विकास कर रहे क्षेत्रों में से एक है। यहां आप प्ले बैक सिंगर, पॉप स्टार, एजेंट्स और प्रॉड्यूसर के रूप में करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा, कॉपीराइटर, रिकॉर्डिंग टेक्नीशियन, म्यूजिक थैरेपी, प्रोडक्शन, प्रमोशन, मैनेजमेंट के साथ-साथ परफॉर्मेंस के क्षेत्र में भी करियर की तलाश कर सकते हैं। 12वीं करने के बाद आप बीए इन म्यूजिक कोर्स में एंट्री ले सकते हैं। कुल मिलकर इस तरह के कोर्स करने वाले स्टूडेंट की आने वाले दिनों में बेहद डिमांड रहने की संभावनाएं हैं।

इंस्टीट्यूट वॉच…

क्लिनिकल इंजीनियरिंग…

प्रमुख संस्थान

-श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी।

-आईआईटी, मद्रास।

-किश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलौर।

फायर सेफ्टी कोर्स…

प्रमुख संस्थान

-कॉलेज ऑफ फायर टेक्नोलॉजी, गुजरात।

-इंस्टीट्यूट ऑफ फायर ऐंड सेफ्टी टेक्नोलॉजी, कोच्चि।

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, नई दिल्ली।

एंवायरनमेंटल साइंस…

प्रमुख संस्थान

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

(दिल्ली, कानपुर, खडगपुर और मद्रास)

-जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

-कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नई दिल्ली

-दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

फैशन कम्युनिकेशन…

प्रमुख संस्थान

-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली।

-सत्यम फैशन इंस्टीट्यूट, नोएडा।

मेडिकल टूरिज्म…

प्रमुख संस्थान

-इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल रिसर्च, इंडिया।

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म ऐंड टै्रवॅल मैनेजमेंट, नई दिल्ली।

-केरला इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म ऐंड ट्रैवॅल स्टडीज, तिरूवनंतपुरम

म्यूजिकल फील्ड…

प्रमुख संस्थान

-अजमेर म्यूजिक कॉलेज, अजमेर

-बनस्थली विद्यापीठ, बनस्थली, राजस्थान

-बाबासाहेब भीमराव अंबेदकर यूनिवर्सिटी, बिहार

-गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

http://deedarehind.com/चुनाव-उत्तर-प्रदेश-में-और/http://deedarehind.com/पाकिस्तान-खुद-पहल-क्यों-न/

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