अवैध रूप से निर्मित घर तोड़ने के मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह को मिली अंतरिम राहत

अवैध रूप से निर्मित घर तोड़ने के मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह को मिली अंतरिम राहत

जम्मू, 13 नवंबर। पूर्व उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह को शुक्रवार को उस वक्त बड़ी राहत मिली जब जम्मू एवं कश्मीर विशेष न्यायाधिकरण ने शहर के बाहरी हिस्से में सेना के गोला-बारूद उपकेन्द्र (एम्यूनिशन सब-डिपो) के पास अवैध रूप से बनाये गये उनके महलनुमा बंगला को पांच दिन के भीतर गिराने के जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) के एक आदेश को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया।

न्यायिक सदस्य राजेश सेकरी की अगुवाई वाले न्यायाधिकरण ने आदेश दिया कि आठ नवंबर का आदेश स्थगित रहेगा और पक्षों को सात दिसंबर तक यथास्थिति बहाल करनी होगी। जीडीए ने निर्मल सिंह को नोटिस भेजकर उन्हें शहर के बाहरी हिस्से में नागरोटा के बान गांव में सेना के गोला-बारूद उपकेन्द्र के पास अवैध रूप से बनाये गये महलनुमा घर को पांच दिन के भीतर गिराने को कहा था

उच्च न्यायालय ने मई 2018 में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि 2015 की एक अधिसूचना का ‘सख्ती से क्रियान्वयन’ कराया जाए जिसमें आम नागरिकों द्वारा रक्षा प्रतिष्ठानों के 1,000 गज के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण करने पर रोक है। इसके बावजूद सिंह और उनके परिजन पिछले साल 23 जुलाई को इस बंगले में रहने चले गये।

विशेष न्यायाधिकरण ने सिंह को यह राहत उनकी पत्नी ममता सिंह के एक आवेदन पर दी है। अपने वकीलों की ओर से दायर इस आवेदन में ममता सिंह ने कहा है कि वह चार कनाल (मापने की एक इकाई) वाले इस रिहायशी बंगले की मालकिन हैं, जिसे उन्होंने 20 मई 2014 को खरीदा था और जहां यह भूमि है, वह किसी भी विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र से बाहर स्थित है। वकील ने बताया कि अपीलकर्ता ने वर्ष 2017 की शुरुआत में ही इस मकान का निर्माण कार्य पूरा कर लिया था।

मकान गिराने के आदेश को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा, ”उसके बाद कुछ आंतरिक काम करवाने के बाद अपीलकर्ता अपने परिवार के साथ वहां शांतिपूर्ण तरीके से रहने लगा। पूरे निर्माण कार्य और उसके बाद इसे लेकर किसी भी प्राधिकरण ने कोई शिकायत नहीं की। यह निर्माण कार्य जम्मू मास्टर प्लान, 2023 के प्रभावी होने और 3 मार्च 2017 को इसके अधिसूचित होने के पहले ही पूरा कर लिया गया था। जेडीए के अधिकार क्षेत्र में 103 गांवों (प्रतिबंध सहित) को शामिल किया गया था।”

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

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जेडीए ने मकान तोड़ने संबंधी आदेश में कहा था कि सक्षम प्राधिकार से वैध अनुमति प्राप्त किये बिना इमारत का निर्माण किया गया। जेडीए ने कहा, ”आपको निर्देश दिया जाता है कि आदेश जारी होने की तारीख से पांच दिन के भीतर आप अवैध निर्माण हटा लें। इस अवधि में ऐसा नहीं किये जाने की स्थिति में जेडीए की प्रवर्तन इकाई निर्माण ढहा देगी और इसका खर्च भूमि राजस्व के बकाये के रूप में आपसे वसूला जाएगा।”

उच्च न्यायालय ने सात मई 2018 को सभी संबंधित पार्टियों से कहा था कि जब तक सेना की याचिका का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक यथास्थिति बनाकर रखी जाए। सेना ने याचिका में कहा है कि इमारत का निर्माण तय नियमों का उल्लंघन करते हुए हुआ है। शस्त्र डिपो के निकट भवन होने पर सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए केंद्र ने उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की हैं।

सिंह ने पहले दावा किया था कि यह उनके खिलाफ एक राजनीतिक साजिश है। हिमगिरि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2000 में 2,000 वर्गमीटर का भूखंड खरीदा था। कंपनी के शेयरधारकों में पूर्व उप मुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता और भाजपा सांसद जुगल किशोर तथा सिंह शामिल हैं।

गुप्ता ने दावा किया कि वह कंपनी से इस्तीफा दे चुके हैं। भूखंड पर निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था जिसके कारण सेना ने इस बारे में सिंह को सूचित किया। सिंह उस वक्त पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री थे। केंद्र सरकार ने जम्मू के तत्कालीन उपायुक्त के 2015 के आदेश का कथित रूप से उल्लंघन करने पर निर्मल सिंह की पत्नी ममता सिंह के खिलाफ 2018 में अवमानना नोटिस जारी किया किया।

आदेश में राज्य सरकार ने सेना के डिपो की अधिसूचना जारी की थी। जब स्थानीय प्रशासन और पुलिस 2015 के आदेश का क्रियान्वयन करने में विफल रहे तो रक्षा मंत्रालय ने तीन मई 2018 को रिट याचिका दायर की थी। उपायुक्त के आदेश को सख्ती से लागू करने के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद निर्माण कार्य निरंतर जारी रहा जिसके कारण केंद्र ने 16 मई 2018 को अवमानना याचिका दायर की।

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