कानपुर : पश्चिम बंगाल में वीरगति प्राप्ति जवान शैलेन्द्र पंचतत्व में हुआ विलीन
कानपुर। पश्चिम बंगाल के मालदा में तस्करों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए कानपुर के रहने वाले बीएसएफ जवान शैलेन्द्र दुबे का शव देर रात घर पहुंच गया था। शनिवार को भैरव घाट पर बीएसएफ जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर वीरगति प्राप्त जवान को अंतिम विदाई दी तो वही राजकीय सम्मान भी प्रशासन की ओर से दिया गया। इस दौरान कैबिनेट मंत्री सतीश महाना समेत शहरवासियों ने जवान को अश्रुपूर्ण आंखों से श्रद्धांजलि दी। वहीं चार साल के बेटे शिवांश ने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
मछरिया नौबस्ता के रहने वाले सेवानिवृत्त दारोगा संतोष कुमार दुबे का 36 वर्षीय बेटा शैलेन्द्र दुबे पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत बीएसएफ के 78वीं वाहिनी में तैनात था। बीएसएफ की ओर से बताया कि नाव से गश्त के दौरान डूबने से जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। 23 घंटे बाद बीएसएफ के जवानों ने उनका शव गंगा नदी में तैनाती स्थल से दो किमी दूर बरामद किया।
परिजनों का आरोप है उनकी यूनिट की तरफ से हादसे में शहादत की जानकारी दी गई है। जबकि दोस्तों ने फोन पर बताया कि तस्करों से मुठभेड़ के दौरान उन्हें नदी में फेंक कर हत्या कर दी गई। शहादत की जानकारी मिलते ही परिवार में शोक की लहर दौड़ गई और देर रात बीएसएफ के जवान वीरगति को प्राप्त जवान के शव को लेकर कानपुर पहुंचे। शव पहुंचते ही परिवार सहित मछरिया में लोग गमगीन रहे और कैबिनेट मंत्री सतीश महाना भी जवान को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। घर पर अंतिम दर्शन के बाद बीएसएफ के जवनों ने तिरंगा में लिपटे शव को भैरव घाट लेकर पहुंचे जहां पर अश्रुपूर्ण आंखों वीरगति प्राप्त जवान को अंतिम विदाई दी गई। जिला प्रशासन ने जहां राजकीय सम्मान दिया तो वहीं बीएसएफ के जवानों ने गार्ड आफ आनर देकर जवान को अंतिम विदाई दी। चार साल के बेटे शिवांश ने उन्हें मुखाग्नि दी। बातचीत के दौरान पिता ने कहा बेटे की शहादत पर मुझे गर्व है। बेटे ने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर की है। अपने पोते को भी सेना में अफसर बनाऊंगा।
23 घंटे बाद मिला था शव
78वीं वाहिनी में तैनात रहे बीएसएफ जवान शैलेन्द्र दुबे नदी में सर्च अभियान चलाये हुए थे। करीब 23 घंटे चले सर्च अभियान के बाद आखिरकार जवान के शव को नूरपुर सीमा चौकी के पास से खोज निकाला गया। जवान का पार्थिव शरीर शुक्रवार को फ्लाइट से 25वीं बटालियन हेडक्वार्टर दिल्ली लाया गया। इसके बाद सड़क मार्ग से सेना की एक टुकड़ी पार्थिव शरीर को लेकर कानपुर उनके घर पहुंची और शनिवार को भैरव घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। वहीं परिजनों ने मांग रखी कि बेटे के दोस्तों ने जानकारी दी कि तस्करों ने शैलेन्द्र की नाव को पलटा दिया और नदी में डुबोकर मारा है। इस दौरान तस्कर रायफल भी लूट ले गये। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होना चाहिये।
शहरवासियों के आंखों में छलके आंसू
शहीद बीएसएफ के जवान शैलेद्र दुबे का पार्थिव शरीर शुक्रवार देर रात उनके घर पहुंचा। सुबह उनके अंतिम दर्शन को इलाके के हजारों लोग पहुंचे। सिर्फ पत्नी मीनू, पिता संतोष, मां रानी और दोनों बच्चे ही नहीं वहां पहुंचे हजारों लोगों की तिरंगे से लिपटे शहीद को देखकर आंखे नम हों गई। कोई भी खुद को रोक नहीं सका और आंखों से आंसू छलक पड़े। इस दौरान शैलेंद्र दुबे अमर रहें…जब तक सूरज चांद रहेगा, शैलेंद्र भइया का नाम रहेगा…। भीड़ ने नारे भी लगाए।
बोल क्यों नहीं रहे पापा
शहीद शैलेंद्र दुबे का पार्थिव शरीर पहुंचते ही घर-परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी, मां और पिता रोते-रोते बेसुध हो गए। बेटे शिवांश और बेटी शिवांशी भी पिता को देखकर रोने लगे। इसी बीच शिवांशी ने कहा कि पापा बोल क्यों नहीं रहे…हम लोग आपका कब से इंतजार कर रहे थे…। यह सुनकर वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें डबडबा गई। परिवार के लोगों ने पत्नी, पिता और बच्चों को किसी तरह संभाला।