अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 82 डॉलर के पार, भारत जैसे देशों की बढ़ेगी परेशानी
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। फिलहाल ब्रेंट क्रूड 82 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में कारोबार कर रहा है। पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड 0.44 डॉलर प्रति बैरल की मजबूती के साथ 82.39 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंचकर बंद हुआ। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) भी 1.05 डॉलर प्रति बैरल की उछाल के साथ 79.35 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचकर बंद हुआ।
कच्चे तेल की कीमत में आई इस तेजी का असर भारतीय बाजार में भी दिख रहा है, जहां सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने आज लगातार पांचवे दिन पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी कर दी। आज की बढ़ोतरी के बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 30 पैसा प्रति लीटर महंगा होकर 103.84 रुपये के स्तर पर और डीजल 35 पैसा प्रति लीटर महंगा होकर 92.47 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। कच्चे तेल की कीमत में लगातार हो रही तेजी के कारण अक्टूबर के महीने में डीजल की कीमत प्रति लीटर 2.60 रुपये की छलांग लगा चुकी है।
ज्ञातव्य है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में नवंबर 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमत इस ऊंचाई तक पहुंची है। अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में अभी कच्चे तेल की कीमत में और तेजी बने रहने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि मेक्सिको की खाड़ी में अगस्त के महीने में हुए हादसे और उसके बाद आए चक्रवाती तूफान इडा की वजह से कच्चे तेल के उत्पादन पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा था। अभी भी मेक्सिको की खाड़ी के 125 से अधिक क्रूड ऑयल प्लेटफार्मो पर कच्चे तेल का उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आवक में काफी कमी आ गई है।
दूसरी ओर कोरोना संक्रमण में काफी हद तक कमी आ जाने की वजह से दुनिया के अधिकांश देशों में कारोबारी और आर्थिक गतिविधियां सामान्य ढर्रे पर आ गई हैं। इस कारण दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मांग पर भी पड़ा है। उत्पादन में कमी और मांग में हुई बढ़ोतरी के कारण कच्चे तेल की कीमत लगातार तेज होती जा रही है।
जानकारों का कहना है कि अतंरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी की एक बड़ी वजह अमेरिकी ऑयल कंपनियों द्वारा आक्रामक तरीके से की जा रही खरीदारी भी है। दरअसल, अमेरिका का कच्चे तेल का भंडार सितंबर के महीने में तीन साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया था। इसकी वजह से अमेरिकी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में से जमकर कच्चे तेल की खरीदारी कर रही हैं। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक अमेरिकी तेल भंडार के स्थिति सामान्य हो जाएगी,जिसके बाद अमेरिका की ओर से होने वाली कच्चे तेल की तेज खरीदारी में भी कमी आएगी। अक्टूबर के महीने के अंत तक ही मेक्सिको की खाड़ी में भी कच्चे तेल का उत्पादन सुचारू रूप से शुरू होने की उम्मीद की जा रही है। जबतक ऐसा नहीं होता है, तब तक अतंरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में तेजी बनी रहने वाली है। इसके कारण अपनी जरूरत के 80 फीसदी से ज्यादा के लिए आयात पर निर्भर रहने वाले भारत जैसे देशों के लिए परेशानी बढ़ी रह सकती है।