मानवता की मिसाल: 40 साल से भारतीय माँ-बेटी की कब्र की देखभाल पर फिनबार आर्चर को भारत ने सराहा..

मानवता की मिसाल: 40 साल से भारतीय माँ-बेटी की कब्र की देखभाल पर फिनबार आर्चर को भारत ने सराहा..

नई दिल्ली, 30 सितंबर । आयरलैंड के कॉर्क शहर में कॉर्क सर्बोजोनिन दुर्गोत्सव (सीएसडी) नामक भारतीय सांस्कृतिक समूह ने एक असाधारण कार्य के लिए स्थानीय नागरिक फिनबार आर्चर को सम्मानित किया है। आर्चर पिछले 40 वर्षों से एक भारतीय माँ और बेटी की कब्र की देखभाल कर रहे हैं, जिनकी मृत्यु 1985 के एयर इंडिया विमान हादसे में हुई थी। चूंकि इन माँ-बेटी के शवों को लेने वाला कोई नहीं पहुँचा, इसलिए फिनबार आर्चर ने न केवल उन्हें पूरे सम्मान के साथ दफनाया, बल्कि चार दशकों से उनकी कब्रों की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं।

एयर इंडिया त्रासदी और अनाथ शवों का सम्मान
यह दुखद हादसा 23 जून 1985 को हुआ था, जब मॉन्ट्रियल से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की उड़ान संख्या 182 में बम विस्फोट हुआ। यह विमान आयरलैंड के दक्षिण-पश्चिमी तट से लगभग 190 किलोमीटर दूर हवा में ही ध्वस्त हो गया था। इस भयावह हादसे में चालक दल के सदस्यों सहित सभी 329 यात्री मारे गए थे, जिनमें अधिकांश भारतीय मूल के थे। मरने वालों में केरल की मूल निवासी अन्नू एलेक्जेंड्रा, उनकी बेटी रेना, पति और बेटा भी शामिल थे। घटना के बाद अन्नू और रेना सहित 132 शव बरामद हुए थे।

फिनबार आर्चर का दशकों पुराना समर्पण
आयरलैंड में इस हादसे में मारे गए लोगों का डेटा दर्ज करने का दायित्व कॉर्क के फिनबार आर्चर को सौंपा गया था। शवों की जानकारी दर्ज करते समय उन्हें पता चला कि अन्नू एलेक्जेंड्रा और रेना के शव को लेने वाला कोई रिश्तेदार नहीं था। इस बात से द्रवित होकर, आर्चर ने मानवता का परिचय दिया। उन्होंने भारतीय माँ-बेटी को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी। तब से लेकर आज तक, वह न केवल उनकी कब्रों की देखभाल करते हैं, बल्कि वार्षिक स्मृति समारोह का आयोजन भी करते हैं।

‘शैमरॉक लोटस पुरस्कार’ से किया गया सम्मानित
फिनबार आर्चर की इस असाधारण करुणा और समाज सेवा के लिए भारतीय समूह कॉर्क सर्बोजोनिन दुर्गोत्सव (सीएसडी) ने उन्हें ‘शैमरॉक लोटस पुरस्कार’ से सम्मानित किया।

इस अवसर पर कहा गया कि यह पुरस्कार एयर इंडिया फ्लाइट 182 त्रासदी में खोई एक भारतीय माँ और बेटी की कब्र की देखभाल में उनके दशकों लंबे अटूट समर्पण, करुणा और मानवता को मान्यता देता है, जो पूरे भारतीय समुदाय को प्रेरित करता है। वक्ताओं ने कहा कि उनके कार्यों में निस्वार्थ सेवा, सामुदायिक जुड़ाव और एक व्यक्ति द्वारा दूसरों के सम्मान में किए जा सकने वाले गहन प्रभाव की भावना समाहित है।

भारत ने सराहा, बताया ‘आयरिश-भारतीय संबंधों की भावना’
फिनबार आर्चर के इस मानवीय कार्य पर भारत में स्थित आयरिश एंबेसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उनकी सराहना की। एंबेसी ने लिखा, “फिनबार आर्चर ने जो काम किया, उसमें आयरिश-भारतीय समुदाय के संबंधों की भावना और एक व्यक्ति द्वारा विपरीत परिस्थितियों में दिए जाने वाले गहन प्रभाव का समावेश है।”

पुरस्कार के माध्यम से कहा गया कि आयरलैंड के शेमरॉक और भारत के कमल को एक करने वाला यह सम्मान हमें हमेशा याद दिलाएगा कि दयालुता की कोई सीमा नहीं होती और स्मृति का कोई अंत नहीं होता। ज्ञात हो कि सीएसडी की स्थापना पश्चिम बंगाल की परंपराओं और दुर्गा पूजा की भावना को भारतीय समुदाय के साथ साझा करने के लिए की गई थी, जो हर साल आयरलैंड में दुर्गा पूजा का उत्सव मनाता है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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