ईरान के शाहेद-136 ड्रोन की कॉपी करने में जुटे अमेरिका और यूरोपीय देश

ईरान के शाहेद-136 ड्रोन की कॉपी करने में जुटे अमेरिका और यूरोपीय देश

अमेरिका और यूरोपीय देशों में ईरान के सबसे खतरनाक ड्रोन को कॉपी करने की होड़ लगी है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने ईरान के शाहेद ड्रोनों की तर्ज पर हथियार तैयार करना शुरू कर दिया है, जिन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में जबरदस्त असर दिखाया है। ईरान ने शाहेद ड्रोन की तकनीक उत्तर कोरिया और रूस जैसे देशों को की है और इन दोनों देशों ने एडवांस ड्रोन बनाने शुरू कर दिए हैं, इस काउंटर करने के लिए अब अमेरिका और यूरोप ने भी शाहेद ड्रोन की तर्ज पर नये ड्रोन को तैयार करना शुरू किया है।
रिपोर्ट में बताया गया हैं कि अमेरिका और उसके सहयोगी कम लागत वाले, लंबी दूरी तक मार क्षमता वाले हथियार विकसित करने की होड़ में हैं। अमेरिका, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों की कंपनियां शाहिद की तर्ज पर सशस्त्र ड्रोन तैयार कर रही हैं।
दरअसल, ईरान का शाहेद-136 ड्रोन, जिसे रूस ने यूक्रेन युद्ध में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया, वहां अब पूरी दुनिया की सेनाओं के लिए रोल मॉडल बन गया है। यह आत्मघाती ड्रोन बेहद सस्ता, लंबी दूरी तक मार करने वाला और बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करने लायक… यानी सस्ता लेकिन जानलेवा हथियार है। पहले युद्धक्षेत्र में महंगे क्रूज मिसाइल और आर्टिलरी का इस्तेमाल होता था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने दिखा दिया कि कम कीमत वाले ड्रोन भी उतने ही घातक और असरदार हो सकते हैं। ईरान ने 2000 के दशक की शुरुआत में शाहेद ड्रोन की तकनीक विकसित की थी। इसका मकसद इजरायल के लंबे रेंज वाले ड्रोन का जवाब देना था। शाहेद को इस तरह डिजाइन किया गया है कि बड़ी संख्या में एक साथ इस्तेमाल होने पर यह दुश्मन की एयर डिफेंस को ध्वस्त कर सकता है।
रूस ने 2022 से यूक्रेन युद्ध में लगातार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। जुलाई 2025 में ही रूस ने 550 शाहेद ड्रोन दागे, जिसमें 27 लोगों की मौत हुई और यूक्रेन के दर्जनों ठिकाने इसी ड्रोन से तबाह किए गये। यह रणनीति रूस के लिए गेमचेंजर साबित हुई और पश्चिमी देशों को समझ आ गया कि भविष्य के युद्ध का सबसे सस्ता और असरदार हथियार यही हो सकता है। रूस ने ईरान से मिले ‘शाहेद-136’ को अपने मॉडल ‘गेरान’ के रूप में बदला और यह तकनीक उत्तर कोरिया को भी सौंप दी। यानि, रूस ने उत्तर कोरिया और ईरान के साथ मिलकर एक नया ध्रुव बना लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की प्रदर्शनी में इस साल 18 नए प्रोटोटाइप ड्रोन दिखाए गए हैं, जिसमें से कई ड्रोन शाहेद ड्रोन की कॉपी लग रहे थे। लुकास और एरोहेड जैसे नए मॉडल, जिसे स्पेक्टरवर्क्स और ग्रिफॉन एयरोस्पेस जैसी कंपनियों ने बनाए हैं, वे बिल्कुल ईरानी ड्रोन की नकल लग रहे हैं। इसके अलावा ब्रिटेन की एमजीआई इंजीनियरिंग ने दावा किया कि उसका नया स्काईशार्क ड्रोन, ईरान के शाहेद ड्रोन के मुकाबले कहीं ज्यादा तेज और एडवांस है। लेकिन असली चुनौती है लागत की है। जहां ईरान और रूस 35-60 हजार डॉलर में एक शाहेद ड्रोन बना लेते हैं, वहीं अमेरिकी कंपनियों के नए ड्रोन की कीमत 1 मिलियन डॉलर से भी ऊपर पहुंच रही है। यानि कॉपी करने के बाद भी अमेरिका और पश्चिमी देशों को कामयाबी नहीं मिल पाई है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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