कतर पर इजरायली हमले से मिडल ईस्ट में बढ़ा तनाव, इस्लामिक देशों की निंदा लेकिन ठोस कदम नदारद…

कतर पर इजरायली हमले से मिडल ईस्ट में बढ़ा तनाव, इस्लामिक देशों की निंदा लेकिन ठोस कदम नदारद…

दोहा/यरुशलम/नयी दिल्ली, 11 सितंबर लेबनान, गाजा और सीरिया के बाद अब इजरायल द्वारा कतर पर किए गए हमलों ने पूरे मिडल ईस्ट में भूचाल ला दिया है। मंगलवार को राजधानी दोहा के भीतर हुए इन हमलों ने उस देश को भी सीधा निशाना बनाया है, जो अब तक हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता कर रहा था। हमलों के तुरंत बाद पाकिस्तान, अल्जीरिया, सऊदी अरब और यूएई जैसे कई मुस्लिम देशों ने इस कार्रवाई की निंदा की, हालांकि किसी ने भी इजरायल के खिलाफ कोई ठोस रणनीतिक कदम नहीं उठाया है।

हमले का दावा और विरोधाभासी बयान
इजरायली सेना का कहना है कि यह हमला कतर को निशाना बनाकर नहीं बल्कि हमास की गतिविधियों को समाप्त करने के उद्देश्य से किया गया। इजरायल का दावा है कि हमास का गाजा प्रमुख खलील अल-हय्या और उसके कुछ वरिष्ठ कमांडर इस हमले में मारे गए हैं। वहीं, हमास ने तुरंत इसका खंडन करते हुए कहा कि उनके नेता सुरक्षित हैं। दिलचस्प यह रहा कि कतर के मीडिया के कुछ हिस्सों ने हमास कमांडरों की मौत की पुष्टि की है, जिससे स्थिति और उलझ गई है।

कतर की प्रतिक्रिया: निंदा लेकिन सीमित विकल्प
कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने हमले को “अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन” करार दिया और कहा कि इसने देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। हालांकि, कतर की वास्तविक स्थिति यह है कि वह प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल नहीं हो सकता। अमेरिका उसका प्रमुख रक्षा सहयोगी है और हथियारों के लिए वही उसका बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है। ऐसे में वॉशिंगटन से टकराव मोल लेना कतर के लिए संभव नहीं है। यही कारण है कि दोहा ने केवल कूटनीतिक स्तर पर निंदा तक ही अपने आप को सीमित रखा है।

इस्लामिक देशों की सामूहिक प्रतिक्रिया
सऊदी अरब, तुर्की और अन्य बड़े मुस्लिम देशों ने भी केवल बयान जारी करके इस घटना को खतरनाक बताया है, लेकिन किसी ने भी सैन्य या आर्थिक मोर्चे पर कोई ठोस कार्रवाई की घोषणा नहीं की। जानकारों का मानना है कि इन देशों की आंतरिक राजनीतिक प्राथमिकताएं और अमेरिका से जुड़ी रणनीतिक निर्भरताएं इन्हें आगे बढ़ने से रोक रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर हलचल
अल्जीरिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आपात सत्र बुलाने की मांग की है, ताकि इजरायली हमले पर वैश्विक स्तर पर चर्चा हो सके। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस कार्रवाई को “लोकेशन की दृष्टि से गलत” बताते हुए अप्रसन्नता जताई है, लेकिन वॉशिंगटन से इजरायल पर किसी कठोर दबाव की संभावना कम ही दिख रही है।

पृष्ठभूमि: गाजा युद्ध का विस्तार
गौरतलब है कि 7 अक्तूबर 2023 को हमास द्वारा किए गए हमले के बाद से इजरायल लगातार गाजा पर सैन्य अभियान चला रहा है। इजरायल की शर्त है कि जब तक हमास हथियार नहीं डालता, जंग खत्म नहीं होगी। दूसरी ओर, हमास का कहना है कि वह अपनी रक्षा के लिए हथियार छोड़ने को तैयार नहीं है। इजरायल ने हाल ही में कहा था कि अगर हमास आज ही हथियार डाल दे तो संघर्ष तुरंत समाप्त हो जाएगा।

विश्लेषण
कतर पर हुआ हमला न केवल इजरायल-हमास युद्ध को नए मोड़ पर ले गया है, बल्कि खाड़ी देशों की सामूहिक प्रतिक्रिया पर भी सवाल खड़े कर रहा है। निंदा के बावजूद, किसी ठोस कदम की अनुपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस्लामिक देशों की राजनीतिक और रणनीतिक सीमाएं उन्हें निर्णायक हस्तक्षेप से रोक रही हैं। आने वाले दिनों में संयुक्त राष्ट्र की बहस और क्षेत्रीय कूटनीतिक गतिविधियां इस संघर्ष की अगली दिशा तय करेंगी।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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