महिला जजों की संख्या बढ़ाई जाए : पूर्व सीजेआई रमना….
महिला जजों की संख्या बढ़ाई जाए : पूर्व सीजेआई रमना….
-अधिवक्ता सिंघवी ने किया समर्थन

नई दिल्ली, 08 सितंबर। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना ने अदालतों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि बिना उचित प्रतिनिधित्व के लैंगिक समानता पर बात करना केवल दिखावा है। रमना ने इस आशय के विचार दिल्ली स्थित एसआरएम स्कूल ऑफ लॉ में आयोतित एक कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए।
यहां रमना ने बताया कि अब तक सुप्रीम कोर्ट में केवल 11 महिला जज बनी हैं। इनमें से तीन ने 31 अगस्त 2021 को उनके कार्यकाल में शपथ ली थी। वर्तमान में जस्टिस बीवी नागरत्ना 2027 में देश की पहली महिला सीजेआई बनने जा रही हैं, हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 36 दिनों का होगा। रमना ने कहा कि संस्थाओं को समाज का प्रतिबिंब होना चाहिए और लैंगिक विविधता केवल औपचारिकता नहीं बल्कि सामाजिक वास्तविकताओं को समझने और न्याय प्रणाली को समृद्ध करने के लिए आवश्यक है।
उन्होंने न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को हाल ही में ढांचागत कमी के चलते छह में से तीन कोर्टरूम बंद करने पड़े। सीजेआई के रूप में अपने कार्यकाल में उन्होंने सरकार से नेशनल ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर अथॉरिटी बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका।
पूर्व सीजेआई रमना ने शनिवार को जो बातें रखीं उन पर वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी समर्थन जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को जल्द लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट दशकों से दो-तिहाई क्षमता पर काम कर रहे हैं, जबकि निचली अदालतें 25,000 जजों की स्वीकृत संख्या के केवल चार-पांचवें हिस्से पर चल रही हैं। उन्होंने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या का सीधा संबंध जजों की कमी से है। न्यायपालिका में लैंगिक संतुलन और ढांचागत सुधार अब समय की मांग बन गए हैं।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

