रूस के कामचटका में 450 साल बाद फटा ‘सुप्त’ ज्वालामुखी, कुछ दिन पहले आया था शक्तिशाली भूकंप…

रूस के कामचटका में 450 साल बाद फटा ‘सुप्त’ ज्वालामुखी, कुछ दिन पहले आया था शक्तिशाली भूकंप…

मॉस्को, 04 अगस्त । रूस के पूर्वी कामचटका क्षेत्र में स्थित क्राशेनिनिकोव ज्वालामुखी 450 साल बाद फट पड़ा। इससे पहले यह ज्वालामुखी वर्ष 1550 में सक्रिय हुआ था। रविवार को रूस की आपातकालीन सेवा ने इसकी पुष्टि की। इस मामले में कामचटका की आपातकालीन सेवा ने बताया कि राख का फैलाव ऐसे इलाके में हो रहा है जहां कोई जनसंख्या नहीं है। अभी तक किसी भी बस्ती में राख गिरने की सूचना नहीं मिली है, जिससे बड़ी जनहानि की घटना टल गई है।

राख का गुबार 6,000 मीटर तक पहुंचा
रूसी अधिकारियों ने बताया कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद जो राख का गुबार उठा, वह 6,000 मीटर (करीब 19,700 फीट) की ऊंचाई तक पहुंच गया। राख पूर्व दिशा में प्रशांत महासागर की तरफ फैल रही है। सरकार ने इस ज्वालामुखी विस्फोट को ‘ऑरेंज’ एविएशन अलर्ट कोड दिया है। इसका मतलब है कि आसमान में राख के कारण हवाई यातायात प्रभावित हो सकता है। पायलटों को सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

कुछ दिन पहले आया था भयंकर भूकंप
इस ज्वालामुखी विस्फोट से कुछ ही दिन पहले कामचटका क्षेत्र में 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था। यह भूकंप हाल के वर्षों में सबसे ताकतवर था। इसके बाद जापान, हवाई, इक्वाडोर जैसे देशों में सुनामी चेतावनी जारी की गई थी। भूकंप के बाद रूस के सेवेरे-कुरील्स्क बंदरगाह पर सुनामी की लहरें पहुंचीं, जिससे एक मछली प्रसंस्करण केंद्र (फिशिंग प्लांट) डूब गया। यह क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ।

तीन दिन पहले फटा था क्लूचेवस्कॉय ज्वालामुखी
इससे पहले बुधवार को कामचटका का ही एक और ज्वालामुखी ‘क्लूचेवस्कॉय’ भी फटा था। यह यूरोप और एशिया का सबसे ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी है। साल 2000 से अब तक इसमें 18 बार विस्फोट हो चुके हैं। फिलहाल अब विशेषज्ञ इस बात की जाँच कर रहे हैं कि क्या हाल ही में आया भूकंप इन ज्वालामुखी विस्फोटों का कारण बना है। फिलहाल क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी गई है।

सुप्त/प्रसुप्त ज्वालामुखी किसे कहते हैं?
सुप्त ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी होता है जो मौजूदा समय में सक्रिय नहीं होता है, लेकिन भविष्य में फिर से उसमें विस्फोट या उसके फटने की संभावना होती है। यह एक ऐसा ज्वालामुखी है जो लंबे समय से शांत है, लेकिन पूरी तरह से मृत नहीं माना जाता है। ऐसे ज्वालामुखी को प्रसुप्त ज्वालामुखी भी कहा जाता है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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