फ्रांस को ब्रिटिश कॉलोनी घोषित कर दें? मैक्रों के फिलिस्तीन वाले प्लान पर भड़का अमेरिका…

फ्रांस को ब्रिटिश कॉलोनी घोषित कर दें? मैक्रों के फिलिस्तीन वाले प्लान पर भड़का अमेरिका…

वाशिंगटन, 26 जुलाई । इजरायल और हमास के बीच जारी जंग ने दुनिया को ही दो ध्रुवों में बांट दिया है। ईरान, चीन, रूस जैसे कई देश एक तरफ फिलिस्तीन के समर्थन में हैं तो वहां अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश पूरी ताकत से इजरायल के समर्थन में हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में अमेरिका के यूरोपीय मित्र ही उसकी राय के खिलाफ दिख रहे हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ऐलान किया है कि सितंबर में वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग रखेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे मध्य पूर्व में शांति लाने में मदद मिलेगी। यही नहीं उनके सलाहकार का कहना है कि यदि फिलिस्तीन को मान्यता होती तो शायद 7 अक्तूबर जैसी घटना ही नहीं होती।

मैक्रों के सलाहकार ओफर ब्रॉन्सटेन का कहना है कि बीते 40 सालों से हर कोई टू-स्टेट सॉलूशन की बात कर रहा है, लेकिन इस पर कुछ नहीं हुआ। यदि फिलिस्तीन को एक मुल्क के तौर पर मान्यता मिली होती तो हमास की तरफ से 7 अक्तूबर, 2023 को हुआ हमला नहीं होता। उन्होंने कहा कि ये लोग हमें कह रहे हैं कि हम आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि यदि गाजा को फिलिस्तीन के तौर पर मान्यता मिलती तो ऐसा हमला नहीं होता। यह इसलिए क्योंकि संप्रभुता के साथ जिम्मेदारी भी आती है।

फ्रांस के इस रुख पर अमेरिका भड़क गया है। एक तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री ने फ्रांस के फैसले को बेपरवाह बताया है तो वहीं इजरायल में US के राजदूत ने तीखी टिप्पणी की है। इजरायल में अमेरिकी राजनयिक माइक हुकाबी ने कहा कि क्या हो, यदि फ्रांस को ही ब्रिटिश कॉलोनी घोषित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मैक्रों एक देश घोषित करना चाहते हैं, उसी तर्ज पर फ्रांस को भी ब्रिटिश कॉलोनी घोषित कर दिया जाए तो वह क्या कहेंगे। इसके आगे एक और पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि मैक्रों तक मनमाने फैसले की बात करते हुए एक अलग देश बनाना चाहते हैं। यह भी समझें कि वह देश कहां होगा। उनकी ही तरह मैं घोषित करता हूं कि फ्रेंच रिवेरा होगा और नए देश का ‘Franc-en-Stine’ होगा।

रुबियो ने लिखा- हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा दे रहे मैक्रों

वहीं रुबियो ने भी एक्स पर पोस्ट लिख मैक्रों को सुनाया। रुबियो ने लिखा, ‘यह बेपरवाह फैसला केवल हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा देता है और शांति को बाधित करता है।’ दरअसल मैक्रों ने कहा था, ‘आज सबसे जरूरी बात यह है कि गाजा में युद्ध बंद हो और नागरिक आबादी को बचा लिया जाए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मध्य पूर्व में न्यायसंगत और स्थायी शांति के प्रति अपनी ऐतिहासिक प्रतिबद्धता को देखते हुए, मैंने निर्णय लिया है कि फ्रांस फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता देगा। शांति संभव है।’

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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