आंध्र प्रदेश से केरल वापस लाया जाएगा लापता बच्चा
आंध्र प्रदेश से केरल वापस लाया जाएगा लापता बच्चा
तिरुवनंतपुरम, 18 नवंबर। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने केरल स्टेट काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर को उस बच्चे को पांच दिनों के भीतर वापस लाने का निर्देश दिया है, जिसे कथित तौर पर उसकी मां से छीनकर, आंध्र प्रदेश की एक दंपत्ति को गोद दे दिया गया था।
बुधवार की देर रात के आदेश ने केएससीसीडब्ल्यू और सीडब्ल्यूसी के शीर्ष पदाधिकारियों को हटाने की मांग को लेकर परिषद के समक्ष अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी 22 वर्षीय अनुपमा को राहत दी। अनुपमा ने पदाधिकारियों ने उसके बच्चे को दूसरे दंपत्ति को सौंपा था।
गुरुवार की सुबह आदेश पर खुशी व्यक्त करते हुए, अनुपमा ने कहा कि आज बाद में सीडब्ल्यूसी के समक्ष रिपोर्ट किया जाएगा। समिति ने निर्देश दिया है कि बच्चे को आंध्र प्रदेश से वापस लाया जाए। यहां आने के बाद, एक डीएनए परीक्षण किया जाएगा। मुझे खुशी है कि चीजें इस स्तर पर आ गई हैं। जब तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक मेरा विरोध बंद नहीं होगा।
एसएफआई कार्यकर्ता अनुपमा, राज्य की राजधानी में सबसे शीर्ष माकपा नेताओं में से एक की पोती, और उनके पति अजीत ने इस संबंध में राज्य पुलिस प्रमुख और बाल कल्याण समिति से संपर्क किया था। शीर्ष अधिकारियों से उनकी दलीलें अनसुनी होने के बाद दंपति को मीडिया से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी ने पिछले साल कथित तौर पर अनुपमा के बच्चे को आंध्र प्रदेश के एक दंपति को सौंप दिया था। माता-पिता को उम्मीद है कि डीएनए परीक्षण से सच्चाई का पता चल जाएगा, क्योंकि इस बच्चे के साथ एक और बच्चा भी था जिसे किसी और को सौंप दिया जाएगा। गोद लेने वाले माता-पिता और उस बच्चे का डीएनए परीक्षण नकारात्मक निकला।
मीडिया के प्रचार के तुरंत बाद, राज्य की राजधानी में एक पारिवारिक अदालत ने गोद लेने को औपचारिक रूप देने की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
मामले को मीडिया में आने के बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और सीपीआई-एम सार्वजनिक डोमेन में गंभीर दबाव में आ गए है। जिस तरह से आरोप सामने आए है कि पार्टी और विजयन सरकार ने इस मामले में कैसे काम किया है। अगर मीडिया नहीं होता तो, अनुपमा को किसी से मदद की कोई उम्मीद नहीं थी, और ना ही वह अपने बच्चे को वापस पा पाती। अनुपमा तब से सभी दरवाजे खटखटा रही है जब से बच्चे को जन्म देने के चार दिन बाद उससे छीन लिया गया था।
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