मॉल में दुकान का झांसा दे लोगों से 12 करोड़ ठगने वाले दंपति गिरफ्तार

नोएडा के मॉल में दुकान का झांसा दे लोगों से 12 करोड़ ठगने वाले दंपति गिरफ्तार

नोएडा, 16 नवंबर। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने ग्रेटर नोएडा स्थित मैसर्स जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशकों रीता दीक्षित और उनके पति डॉ. विजय कांत दीक्षित को गिरफ्तार किया है। इस दंपति पर कथित तौर पर नोएडा के सेक्टर-128 में मॉल बनाकर उसमें दुकानें आवंटित करने के नाम पर 30 लोगों से 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। यह मॉल कभी बनाया ही नहीं गया था।

ईओडब्लू ने मंगलवार को बताया कि धोखाधड़ी के एक मामले में ग्रेटर नोएडा के परी चौक के पास स्थित SV-7, जेपी ग्रीन्स में रहने वाली रीता दीक्षित और उनके पति डॉ. विजय कांत दीक्षित को गिरफ्तार किया गया है। यह दोनों एक निजी कंपनी के डायरेक्टर हैं और इनके खिलाफ ईओडब्ल्यू थाना में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

जानकारी के अनुसार, धीरेंद्र नाथ और अन्य द्वारा एक कंपनी मैसर्स जेसी वर्ल्ड हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशकों डॉ. विजय कांत दीक्षित और रीता दीक्षित के खिलाफ दी गई शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने वर्ष 2014 में कथित कंपनी द्वारा शुरू की गई “जेसी वर्ल्ड मॉल” नामक एक परियोजना में नंबर 114बी और 114सी के तहत दो दुकानें बुक की थीं और यह प्लॉट नंबर नोएडा सेक्टर-128 में जेपी ग्रीन्स विश टाउन में स्थित है। उन्होंने कथित कंपनी को विभिन्न किश्तों में 1,75,88,330 रुपये का भुगतान किया था। कथित कंपनी द्वारा यह वादा किया गया था कि अलॉटमेंट लैटर की तारीख से 30 महीने में दुकानों का कब्जा सौंप दिया जाएगा। आरोप है कि पिछले 18 महीने से बिल्डर ने ना तो निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है और ना साइट पर कोई निर्माण कार्य चल रहा है।

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उन्होंने आगे आरोप लगाया है कि कथित कंपनी के निदेशकों के साथ कई बैठकें करने के बावजूद, कोई लाभ नहीं हुआ और वे केवल झूठे वादे कर रहे हैं। आरोप है कि कथित कंपनी ने अपने निदेशकों के माध्यम से अपने प्रोजेक्ट में दुकानें उपलब्ध कराने के बहाने कई शिकायतकर्ताओं/खरीदारों को ठगा है। कंपनी ने अपना वादा पूरा नहीं किया और खरीदारों के फंड को डायवर्ट किया और फंड का गलत इस्तेमाल किया गया। जांच के दौरान यह पाया गया कि कथित कंपनी ने न तो निवेशकों के पैसे लौटाए और ना ही परियोजना को पूरा किया। इसमें 30 से अधिक शिकायतकर्ताओं से करीब 12 करोड़ रुपये की ठगी का खुलासा हुआ है। प्रारंभिक जांच के बाद बीते साल दिनांक 15.02.2020 को एफआईआर संख्या 27/20 के तहत मामला दर्ज किया गया था और डीसीपी ईओडब्ल्यू के नेतृत्व में जांच की गई थी।

जांच के दौरान, यह पाया गया कि कथित कंपनी ने वर्ष 2014 में परियोजना शुरुआत की थी और खरीदारों / निवेशकों से धन प्राप्त किया था और बुकिंग की तारीख से 30 महीने के भीतर अपनी संबंधित दुकानों का कब्जा देने का वादा किया था। नोएडा प्राधिकरण ने सूचित किया है कि कथित कंपनी ने वर्ष 2015 में उक्त परियोजना के लिए भवन योजना की मंजूरी के लिए आवेदन किया था, जिसे कुछ आपत्तियों के साथ वापस कर दिया गया था और उन्हें संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, कथित कंपनी ने निर्धारित अवधि के भीतर जवाब नहीं दिया और इसलिए, भवन योजना की मंजूरी के लिए उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। यह भी पता चला है कि कथित कंपनी द्वारा निवेशकों की रकम में से 6 करोड़ रुपये अपनी दूसरी कंपनी में डायवर्ट किए गए थे। जांच के दौरान यह पाया गया कि आरोपी व्यक्ति कथित कंपनी के प्रमोटर, निदेशक और शेयरधारक हैं।

डीसीपी ईओडब्ल्यू की निगरानी वाली एसीपी रमेश कुमार नारंग के नेतृत्व में बनी एक पुलिस टीम ने आरोपियों के आवास पर छापेमारी कर दोनों को पकड़ लिया। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर कर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। मामले की आगे की जांच जारी है।

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